तनाव का लेन-देन है वर्तमान समय का सार: डॉ. अरूण

सहरसा। रविवार को को गायत्री शक्तिपीठ में व्यक्तित्व परिष्कार कक्षा यूट्यूब लाइव के माध्यम से संपन्न हुआ। कक्षा को संबोधित करते हुए ट्रस्टी डॉ. अरुण कुमार जायसवाल ने कहा कि वर्तमान समय में दुनिया का सार क्या है, तनाव का लेन-देन। हम तनाव देते हैं और तनाव लेते हैं। देना लेना ही तो दुनिया का विधान है, सृष्टि का संविधान है। परंतु कर्म का फल तो आज या कल मिलेगा ही। लगता है कि कोई लेन-देन बचा ही नहीं। सिर्फ बचा है तो तनाव का लेन देन। कहा कि आज सभी रिश्तों में शुरू-शुरू में गिफ्ट का आदान-प्रदान होता है। पुष्प, गुलदस्ता, केक, मिठाई, कपड़ा, मोबाइल का भी आदान-प्रदान होता है। रिश्ता आगे बढ़ता है। फिर क्या घटता जाता है, आपने कभी सोचा है। अगर स्थिर मन से विचार करें तो इसका अंत भी तनाव में होता है। ट्रस्टी ने कहा कि एक सितम्बर 1939 को विश्व युद्ध हुआ था। आज सितंबर 2020 में कोरोना संकट द्वितीय विश्व युद्ध बनकर खड़ा है। कहा कि युद्ध में जानमाल, आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने का नुकसान हो रहा है। कोरोना संकट में अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है और सामाजिक ताने-बाने बिगड़ रहे हैं। इसका आकलन तो भविष्य में पता चलेगा कि क्या खोया और क्या पाया और अगली पीढ़ी इसका भुगतान करेगा। कहा कि आज हर आदमी अपनापन चाहता है, भरोसा चाहता है। हर आदमी जैविक यानी बायोलॉजिकल सपोर्ट चाहता है। साइकोलॉजिकल, सोशियोलॉजिकल सपोर्ट चाहता है। लेकिन सच क्या है प्रेम के बदले तनाव मिलता है। उन्होंने कहा कि अगर हम ऐसा सोचेंगे दुनिया में इस तरह से व्यवहार करेंगे तो हमारे जीवन में और दुनिया में जीने सत्कर्मों में निरंतर वृद्धि होती रहेगी।

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Posted By: Jagran
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