रीगा पुलिस ने छापेमारी के नाम पर घरों में घुसकर बेकसूरों को पीटा

सीतामढ़ी। रीगा में महावीरी झंडे का ध्वज लगाने को लेकर हुए बवाल के बाद आरोपितों की गिरफ्तारी में पुलिस का एकबार फिर बर्बर चेहा सामने आया। पिपरा गांव से पुलिस ने दर्जनभर लोगों को गिरफ्तार किया। मगर, हंगामे के बाद उनको थाने से ही छोड़ना पड़ा। पुलिस की बर्बरता के शिकार लोगों का कहना है कि चार सितंबर की घटना को लेकर पुलिस ने उन लोगों से बदला लिया। दो गांवों में हिसक झड़प की सूचना के बावजूद पुलिस उस दिन विलंब से पहुंची। इस कारण लोग नाराज थे और पुलिस से उलझ गए थे। जिसका खुनस पुलिस ने निकाला है। गांव वालों के मुताबिक पिपरा गांव में रात में पहुंची रीगा थाना पुलिस ने घरों में घुस-घुसकर बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग सबको बेरहमी से पीट डाला। पुलिस की बर्बरता के शिकार लोगों ने अपने शरीर के जख्म दिखाए। गांव वालों ने बताया कि रीगा के ही टुन्ना सिंह के दामाद ने रीगा थाने को 50 हजार रुपये देकर पिपरा गांव के लोगों की पिटाई करवाई। महिलाओं ने आरोप लगाया कि देररात पुरुष पुलिसकर्मी घर मे घुसे और पिटाई करने लगे। घर का पूरा सामान तितर-बितर कर दिया। इधर, रीगा थानाध्यक्ष सुभाष मुखिया का कहना है कि अभियुक्तों की गिरफ्तारी को लेकर गांव मे छापेमारी की गई थी। जहां से छह अभियुक्तों को गिरफ्तार भी किया गया है। उन्होंने मारपीट की घटना को गलत बताया है। वहीं घायलों का इलाज सदर अस्पताल में कराया जा रहा है। इस पूरे मामले में सदर एसडीपीओ रमाकांत उपाध्याय ने बताया कि जांच की जा रही है। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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गौरतलब है कि चार सितंबर को महावीरी झंडा गाड़ने को लेकर रीगा थाना क्षेत्र के पिपरा व मझौरा गांव के लोगों के बीच हिसक झड़प हो गई थी। जिसमे पहुंची पुलिस पर भी ग्रामीणों ने पथराव कर दिया था। थानाध्यक्ष समेत कई पुलिसकर्मी चोटिल हुए थे। मामले को लेकर रीगा थाना में 100 नामजद और 500 अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। उन्हीं लोगों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस पहुंची तो निर्दोषों को पीटने का वाकया सामने आया।
Posted By: Jagran
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