पुत्र की मंगलकामना का पर्व है जिउतिया : आचार्य

सुपौल। जिउतिया व्रत स्त्रियां अपनी संतान की मंगलकामना और लंबी आयु के लिए करती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार जिउतिया व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। छठ की तरह ही यह व्रत भी तीन दिनों तक चलता है। इसमें पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन व्रत का पारण होता है।

सप्तमी तिथि को नहाय खाय एवं रात्रि में ओटघन, अष्टमी को व्रत तथा नवमी को स्नान ध्यान के बाद व्रत की पूर्णता हेतु पारण एवं ब्राह्मणों को भोजन व दान ध्यान के बाद व्रत पूर्ण किया जाता है।
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जिउतिया पर्व की दंत कथा
आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि एक बार सूतजी से समस्त ऋषिगण और स्त्रियों ने प्रश्न किया कि ऐसा कौन सा व्रत है, जिसको करने से संतान की लंबी आयु हो तथा वह अकाल मृत्यु का ग्रास नहीं बने। तब सूतजी ने धर्मग्रंथ का हवाला देते हुए बताया कि सतयुग में सत्य आचरण करने वाला जीमूतवाहन नामक राजा था। वह अपनी धर्मपत्नी के साथ ससुराल गया और वहीं पर रहने लगा। एक दिन रात्रि में पुत्र के शोक से व्याकुल होकर कोई स्त्री रो रही थी, क्योंकि उनका कोई भी पुत्र जीवित नहीं था। जीमूतवाहन महाराज द्वारा पूछे जाने पर उस स्त्री ने रोते-बिलखते हुए बताया कि प्रतिदिन गरूड़ आकर गांव के बच्चे को खा जाता है। महिला की पीड़ा सुनने के बाद दुखी राजा ने कहा कि हे देवी, तुम चिता मत करो। इसके बाद उस रात में जीमूतवाहन राजा ने बच्चे की जगह खुद को गरूड़ को अर्पित कर दिया। बच्चे के प्रति राजा की ऐसी भावना देख गरूड़ अति प्रसन्न हुए और राजा से वरदान मांगने को कहा। राजा ने कहा कि हे पक्षी महाराज, यदि आप मुझे वर देना चाहते हैं तो यही वरदान दीजिए कि आपने अभी तक जो भी बच्चे का भोजन किया है वे सब जीवित हो जाएं तथा अब से यहां बालकों को नहीं खाएं। इसके लिए कोई भी ऐसा उपाय करें कि यहां जो जन्म ले वे सभी लोग लंबे समय तक जीवित रहें। तब राजा की प्रार्थना सुनकर गरूड़जी ने अमृत लाकर मृत बच्चों को जीवित कर दिया। वह दिवस आश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी। तभी से सभी स्त्रियां यह जीमूतवाहन का व्रत विधि- विधान पूर्वक करने लगी।
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बुधवार की रात में ओटघन का योग
आचार्य ने बताया कि इस बार व्रती महिलाओं के लिए सितंबर माह के 9 तारीख यानि बुधवार को नहाय खाय एवं बुधवार की रात्रि 9 बजकर 54 मिनट तक विशिष्ट भोजन अर्थात ओठगन है। दिनांक 10 सितंबर रोज गुरुवार को अष्टमी तिथि में जिउतिया व्रत आरंभ होगा। साथ ही व्रत का पारण 11 सितंबर यानि शुक्रवार नवमी तिथि को सूर्योदय उपरांत व्रत का समापन ब्राह्मण भोग लगवाने के उपरांत करें।
------------------------------- मिथिला में प्रसिद्ध है जीमूतवाहन नाटक
जिउतिया पर्व के बारे में विद्वानों ने भी अपनी लेखनी के द्वारा सार गर्भित रहस्य बताया है, जिसमें से मिथिलांचल के सुप्रसिद्ध राज पंडित गोसपुर ग्राम निवासी पंडित त्रिलोकनाथ मिश्र के द्वारा लिखी हुई मैथिली भाषा में जीमूतवाहन चरित्र नाटक काफी लोकप्रिय है।
Posted By: Jagran
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