भूमि विवाद के मामलों ने बढ़ाया जिले का क्राइम ग्राफ

बक्सर। जिले में बढ़ते भूमि विवाद के मामले पुलिस के लिए टेंशन का सबब बन रहे हैं। जिले में होने वाले अपराध में 60 प्रतिशत की वजह भूमि विवाद ही बन रहे हैं। भूमि विवाद को थाना स्तर पर सुलझाने के लिए अंचलाधिकारी और थानाध्यक्ष की संयुक्त उपस्थिति में शनिवारी दरवार लगाया जा रहा है, लेकिन उसमें भी नतीजे बेहतर नहीं आ रहे हैं।

पिछले दिनों हत्या और गोलीबारी की कई घटनाएं हुई और घटनाओं की गहराई में जाने पर पता चलता है कि जिले में ज्यादातर हत्या की वारदात भूमि विवाद को लेकर ही हुई है।
आंकड़े बताते हैं कि अमूमन जिले में हर साल 50 से 60 हत्या के मामले सामने आते रहते हैं। पुलिस अनुसंधान में यह बात खुलकर आती है कि अधिकांश मामले भूमि विवाद से जुड़े होते हैं। वर्ष 2020 की घटनाओं पर नजर डालें तो करीब एक दर्जन मामले ऐसे थे जिनमें भूमि विवाद को लेकर हत्या की गई थी। चाहे वह मामला डुमरांव के भोजपुर का हो या फिर बगेन का या ब्रह्मपुर के पोखरहा का। सारे मामले भूमि विवाद से ही जुड़े थे। सवाल गंभीर है कि आखिर भूमि विवाद के मामले बढ़ क्यों रहे हैं। दरअसल कोर्ट के उपर केस का बोझ इतना अधिक है कि एक केस का नंबर आने में ही कई साल लग जाते हैं। जबकि, इधर विवाद की आग लगातार सुलगती रहती है। यह बातें सोमवार को बक्सर आए सूबे के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय भी खुद बोल चुके हैं कि ज्यादातर हत्या के मामलों के पीछे भूमि विवाद ही है।
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थाना स्तर पर निपटारा
भूमि संबंधी छोटे-छोटे मामलों को थाना के स्तर से निपटाते हुए बोझ कम करने के साथ ही हत्या की बढ़ती वारदातों पर अंकुश लगाने की योजना बनाई गई। इसके लिए प्रत्येक थाना में शनिवार को सीओ और थानाध्यक्ष की मौजूदगी में भूमि विवाद के मामलों के निपटारा की योजना बनाई गई। पर यह योजना भी ज्यादा दिनों तक ढंग से चल नहीं सकी। एक थानाध्यक्ष से लेकर अंचलाधिकारी तक पर काम का इतना अधिक बोझ है कि कई दफा फरियादियों को बुलाने के बावजूद अधिकारी खुद समय पर नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में यह योजना भी धरातल पर कामयाब साबित नहीं हो सकी। -चौकीदारों को सौंपी गई जिम्मेदारी
लगातार बढ़ते हत्या के मामलों पर लगाम कसने के लिए पुलिस की आखिरी कड़ी को दुरूस्त करने की योजना पर भी काम किया गया। चुकी अधिकांश भूमि विवाद के मामले ग्रामीण क्षेत्रों से ही आते हैं, लिहाजा पुलिस की सबसे छोटी इकाई चौकीदारों पर भूमि विवाद के छोटे से छोटे मामले की जानकारी थानाध्यक्ष तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। जिससे समय रहते विवाद को निपटाते हुए बड़ी घटनाओं को अंजाम तक पहुंचने से पहले ही रोका जा सके। पर, पुलिस अधिकारियों के बार-बार निर्देश और प्रशिक्षण के बावजूद चौकीदारों की लापरवाही से यह योजना भी उतनी कारगर साबित नहीं हो सकी।
बयान
जमीनी विवाद की वजह से लोग कानून को हाथ में लेते हैं और खुद को एवं परिवार को मुसीबत में डालते हैं। ऐसे मामलों से पुलिस कानून के मुताबिक निपट रही है।
उपेन्द्रनाथ वर्मा, एसपी, बक्सर।
Posted By: Jagran
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