शिक्षक संघ ने प्रधानमंत्री और आयोग को लिखी चिट्ठी

जमुई। सूबे के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में नामांकित छात्र-छात्राओं को शैक्षणिक सत्र-2020 के प्रारंभ होने के पांच माह बाद भी पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं कराए जाने का मामला प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तक पहुंच गया है। बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल सिंह ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को पत्र प्रेषित कर शीघ्र हस्तक्षेप करने की मांग की है। रविवार को प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार प्रदेश के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में नामांकित छात्र-छात्राओं को शैक्षणिक सत्र-2020-21 के प्रारंभ होने के पांच माह बाद भी पाठ्य-पुस्तक शिक्षा विभाग, बिहार सरकार और बिहार राज्य टेक्सट बुक पब्लिशिग कॉरपोरेशन, पटना द्वारा उपलब्ध नहीं करवाया गया है, जो निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है। साथ ही करोड़ों छात्र-छात्राओं के भविष्य को बर्बाद करने जैसा कृत्य है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षणिक सत्र 2017-18 में भी बिहार प्रदेश के लगभग 74 हजार सरकारी प्रारंभिक विद्यालय में नामांकित दो करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के छह माह बाद भी पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध नहीं कराया गया था। तब उच्च न्यायालय को सख्त आदेश देना पड़ा था।

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पुन: वर्ष 2020 में भी करोड़ों छात्र-छात्राओं को पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध नहीं करवाकर माननीय उच्च न्यायालय, पटना के आदेश का खुला उल्लंघन करते हुए छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है। उन्होंने कहा कि सहजता पूर्वक बिहार प्रदेश के निजी विद्यालय और केंद्रीय विद्यालयों द्वारा अपने छात्र-छात्राओं को शैक्षणिक सत्र-2020 के लिए समय से पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध करा दिया गया है तो फिर बिहार सरकार द्वारा सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में पढ़ने वाले करोड़ों छात्र-छात्राओं को पुन: शैक्षणिक सत्र 2020-21 प्रारंभ होने के पांच माह बाद भी पाठ्य-पुस्तक नहीं दिया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस मामले की जांच और दोषी पर कार्रवाई करते हुए शीघ्र बिहार प्रदेश के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराने की मांग की है।
Posted By: Jagran
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