COVID-19: एक्सपर्ट्स का दावा, समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो बेतहाशा बढ़ सकते हैं कोविड के मामले, जानिये क्यों

कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। चीन से निकले इस खतरनाक वायरस से दुनियाभर में अब तक 31,231,475 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 965,065 लोगों की मौत हो गई है। इस बीच ब्रिटेन के शीर्ष चिकित्सा सलाहकार ने कहा है कि कोविड-19 के मामलों के लिहाज से देश बहुत खराब मुकाम पर पहुंच चुका है और ऐसे संकेत हैं कि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो बीमारी बेतहाशा बढ़ सकती है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी क्रिस विट्टी ने लोगों को बताया कि बीमारी की दर 'गलत दिशा' में जा रही है और उम्मीद है कि सरकार महामारी पर नियंत्रण के लिये नए कदमों की घोषणा की तैयारी कर रही है।
उन्होंने कहा कि हफ्तों से संक्रमण दर में बढ़ोतरी के बाद 'हम बेहद बुरे मायनों में एक अहम पड़ाव पर पहुंच गए हैं'। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सप्ताहांत मंत्रियों के साथ चर्चा की कि संक्रमण के बढ़ते मामलों पर सरकार कैसे प्रतिक्रिया दे, जो एक बार फिर मई की संक्रमण दर के स्तर पर पहुंच रहे हैं।
इस हफ्ते सरकार द्वारा कुछ अल्पकालिक पाबंदियों की घोषणा किये जाने की उम्मीद है जो इस बीमारी की गति को रोकने के लिये 'सर्किट ब्रेकर' के तौर पर काम करेंगे।
वैक्सीन ना मिली तो मौसमी बीमारी बन जाएगा कोरोना दुनियाभर में कहर बरपा रहे कोविड-19 को लेकर वैज्ञानिकों ने अब एक नई खोज की है। 'जर्नल फ्रंटियर इन पब्लिक हेल्थ' में प्रकाशित शोध के मुताबिक, वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में जब लोगों में हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो जाएगी तो कोरोना एक मौसमी बीमारी बनकर रह जाएगा।
रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा कि मौसम के बदलते ही सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है। उसी तरह कोरोना वायरस भी खांसी, सर्दी और जुकाम फैलाने वाले वायरस की तरह बनकर रह जाएगा।
जब तक कोरोना वायरस को मात देने के लिए वैक्सीन नहीं तैयार होती है या फिर लोगों में हर्ड इम्यूनिटी विकसित नहीं हो जाती, तब तक कोविड-19 ऐसे ही लोगों में फैलता रहेगा।
कोरोना का कोई इलाज नहीं है लेकिन दुनिया भर के वैज्ञानिक और चिकित्सा विशेषज्ञ वायरस के प्रसार को रोकने के लिए एक दिन-रात वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं। लेकिन सवाल अब भी वही है कि आखिर कोरोना वायरस महामारी कब और कैसे खत्म होगी?
165 से अधिक वैक्सीन का प्रीक्लिनिकल अब तक, 165 से अधिक वैक्सीन का प्रीक्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षण चल रहा है और उनमें से 33 से अधिक मानव परीक्षणों के महत्वपूर्ण अंतिम चरण में पहुंच गए हैं। अच्छी खबर यह है कि भले ही टीका पूरी तरह से प्रभावी नहीं है, फिर भी यह महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने में प्रभावी होगा।
75 प्रतिशत प्रभावी टीके का उत्पादन करने पर जोर अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एंथोनी फौसी के अनुसार, एक वैक्सीन जो सुरक्षित है और 50 से 60 प्रतिशत प्रभावी भी स्वीकार्य होगी, भले ही वैज्ञानिकों का लक्ष्य वैक्सीन का उत्पादन करना है जो 75 प्रतिशत प्रभावी है।
प्रारंभिक अध्ययनों के शुरुआती आंकड़ों ने कई वैक्सीन उम्मीदवारों के लिए सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं और हम सावधानीपूर्वक 2021 की पहली तिमाही तक प्रभावी रूप से प्रभावी वैक्सीन की उम्मीद कर सकते हैं।
प्रतिरक्षा विकसित होने से मिलेगी मदद इस तरह की महामारी को खत्म करने के दूसरा उपाय वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्राप्त करना है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस तरह के वायरस के खिलाफ लोगों में प्रतिरक्षा विकसित होने बहुत जरूरी है। जब लोग हमेशा की तरह बाहर निकलेंगे तो अधिक से अधिक लोग बीमारी से संक्रमित हो जाएंगे और वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित करेंगे।
भारत उन कुछ देशों में है जहां रोजाना बड़ी संख्या में जांच की जा रही है। देश में प्रयोगशालाओं के बेहतर नेटवर्क और इस तरह की अन्य सुविधाओं से इसमें पर्याप्त सहायता मिली है। इस उपलब्धि के आधार पर प्रति दस लाख पर जांच में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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