लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव पिछले कुछ महीनों से जारी है। दोनों ही देशों के सैनिकों के बीच कई बार

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव पिछले कुछ महीनों से जारी है। दोनों ही देशों के सैनिकों के बीच कई बार झड़प भी हो चुकी है। ऐसे में इस तनाव को देखते हुए दोनों ओर से सैनिक बढ़ाए जा रहे हैं। इस बीच भारत इस क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में जुटा है। चीन के खिलाफ यह उसका अहम हथियार कहा जा रहा है।

चीन को करारा जवाब देने के लिए भारत सीमा क्षेत्रों में पहुंच के लिए सड़कें बना रहा है। ऐसी ही एक सड़क हिमाचल प्रदेश से लेह को जोड़ती है। दारचा-पदम से नीमो तक की यह सड़क चीन को माकूल जवाब देने के लिए तैयार है। इसके जरिये सैनिक किसी भी मौसम में सीमाई क्षेत्रों तक पहुंच सकते हैं।
दारचा-पदम और नीमो के बीच यह सड़क हिमाचल की लाहौल घाटी के दारचा को लेह की जंस्कार घाटी से जोड़ेगी। ऐसे में यह सड़क लेह तक जुड़ जाएगी। दारचा से पदम की दूरी करीब 148 किमी है।
दारचा पदम और नीमो के बीच की सड़क को हर मौसम के अनुसार बनाया जा रहा है। ऐसा इसलिए ताकि हमारे जवानों को किसी भी समय लेह और कारगिल पहुंचने में देरी ना हो।
दारचा-पदम और नीमो के बीच की इस सड़क से लेह पहुंचने का समय काफी बच जाएगा। मनाली से लेह पहुंचने में 14 घंटों से ऊपर का समय लग जाता था। वहीं यह सड़क सिर्फ 6-7 घंटे में पहुंचा देगी।
बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन (बीआरओ) के अनुसार इस सड़क का 90 फीसदी काम हो चुका है। इस महत्वाकांक्षी सड़क प्रोजेक्ट की निगरानी प्र.म. नरेंद्र मोदी खुद कर रहे हैं। इस सड़क से भारतीय सेना को रणनीतिक फायदा पहुंचेगा।

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