रजनीकांत के फिल्मों में आने की कहानी

मशहूर बॉलीवुड एक्टर रजनीकांत का जन्म कर्नाटक के बेंगलुरु में एक मराठी परिवार में हुआ था। उनका जीवन शुरुआत से ही संघर्षों भरा था उन्होंने बहुत ही छोटी उम्र में अपनी मां को खो दिया था। उनके पिता पुलिस में हवलदार की नौकरी करते थे उनके परिवार की माली हालत बहुत खराब थी। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से रजनीकांत को बचपन में ही कुली की नौकरी करनी पड़ी इसके बाद वह बस कंडक्टर की नौकरी करने लगे।

बेशक वी बस कंडक्टर की नौकरी कर रहे थे लेकिन उनका अंदाज एक स्टार की तरह था चाहे उनका टिकट काटने का अंदाज हो या सीटी मारने का अंदाज वह किसी स्टार से कम नहीं थे अपने इसी स्टाइल की वजह से वे लोगों में प्रसिद्ध थे। क्योंकि वे कई मंचों पर नाटक करते रहे थे इसलिए उन्हें फिल्मों का शौक बचपन से ही था फिर धीरे-धीरे यह शौक जुनून में तब्दील हो गया।

इसके बाद उन्होंने अपना काम छोड़कर चेन्नई के फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया। इंस्टिट्यूट में एक नाटक के दौरान उस समय के मशहूर निर्देशक के बालाचंदर की नजर उन पर पड़ी वे उन से इतने प्रभावित हुए उन्होंने अपनी फिल्म में काम करने का प्रस्ताव दे डाला। उस फिल्म का नाम था अपूर्व रागांगल। हालांकि रजनीकांत की पहली फिल्म थी लेकिन क्योंकि उनका किरदार छोटा था इसलिए उन्हें वह पहचान नहीं मिल पाई जिसके वह योग्य थे।
रजनीकांत का फिल्मी सफर भी एक फिल्म की कहानी की तरह रहा। उन्होंने पर्दे पर पहले विलेन के किरदार और नेगेटिव रोल से शुरुआत की। और अंत में एक हीरो के तौर पर पहचान बनाई। रजनीकांत को पहचान मिली एसपी मुथुरामन की फिल्म चिलकम्मा चेप्पिंडी से।
इसके बाद निर्देशक एसपी की ही अगली फिल्म में उन्होंने हीरो का रोल किया और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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