Rabi फसलों में इस साल औसत बढ़त महज 4.3 फीसदी हुई, औसत बढ़त पिछले 6 सालों में सबसे कम

केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने सोमवार को रबी फसलों के लिए विपणन वर्ष 2021-22 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़त को मंजूरी दे दी है। केयर रेटिंग की एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल औसत बढ़त महज 4.3 फीसदी ही हुई है, जो कि पिछले छह साल में सबसे कम है। पिछले साल रबी फसलों की एमएसपी में औसत बढ़त 5.7 फीसदी हुई थी। गौरतलब है कि फसलों के एमएसपी में बढ़त स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक की जा रही है। साल 2018-19 के बजट में इसका ऐलान किया गया था। इसके मुताबिक किसी फसल का औसत एमएसपी उसके अखिल भारतीय उत्पादन लागत औसत का 1.5 गुना होना चाहिए।

बता दें कि इस साल सबसे ज्यादा औसत 6.3 फीसदी और प्रति कुंटल 300 रुपये की बढ़त मसूर के एमएसपी में की गई है। इसके बाद चना, तिलहन और सरसों के एमएसपी में 5.1 फीसदी की बढ़त की गई है। गेहूं के एमएसपी में 50 रुपये कुंटल यानी करीब 2.6 फीसदी की बढ़त की गई है जो सभी फसलों में सबसे कम है।
रबी की फसल की बात करें तो रबी की सभी छह फसलों के लिए औसत लागत रिटर्न करीब 78 फीसदी रहा है, जो कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों (50 फीसदी) से भी ज्यादा है। अगर लागत पर रिटर्न की बात करें तो एमएसपी के हिसाब से इस साल किसानों को सबसे ज्यादा गेहूं पर 106 फीसदी का रिटर्न मिलेगा। इसके बाद सरसों पर 93 फीसदी और चना एवं मसूर पर 78 फीसदी का रिटर्न मिलेगा। जौ पर करीब 65 फीसदी का रिटर्न मिलेगा।

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