वॉट्सऐप चैटें लीक कहां से हो जाती हैं? आपकी प्राइवेट बातचीत पर भी तो किसी की नजर नहीं?

इधर एक-दो महीने से वॉट्सऐप की चैटें ऐसा बिथर-बिथर कर बंट रही हैं, जैसे बूंदी का लड्डू. कहीं रिया चक्रवर्ती और महेश भट्ट की चैट के स्क्रीनशॉट वायरल होते हैं तो कहीं रिया और उनके भाई के बीच की बातचीत घर-घर में डिस्कस होने लगती है. अभी तो एक न्यूज चैनल की पत्रकार ने एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की बताकर ड्रग्स रिलेटेड वॉट्सऐप चैट लीक की हैं. इसमें ‘माल’ यानी ड्रग्स मंगवाने को लेकर बातचीत हो रही है.

मगर वॉट्सऐप तो दावा करता है कि उसकी चैट एंड-टु-एंड एनक्रिप्टेड हैं. मतलब इतनी सिक्योर हैं कि अच्छे से अच्छा महारथी भी उन्हें बीच में नहीं पढ़ सकता. वह इसकी तारीफ़ करते फूला नहीं समाता. फ़िर ये पत्रकारों या जांच एजेंसियों के हाथ में कैसे आ रही हैं? क्या आपकी पर्सनल चैट भी दूसरों के हाथ इतनी ही आराम से लग सकती है? क्या पुलिस आपके फ़ोन के कॉल रिकॉर्ड की तरह आपकी चैट को भी बाहर निकलवा सकती है? यही जानेंगे आज हम आसान भाषा में. शुरुआत करते हैं एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन से.
तो क्या है ये एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन?
ये एक तरह का लॉक सिस्टम है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि चैट जिन दो जनों के बीच चल रही है, उनके सिवा कोई और ना पढ़ सके. बीच में किसी भी तरह की कोई थर्ड पार्टी ना हो. वॉट्सऐप अपने एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन के बारे में कहता है कि वह भी खुद किसी के मैसेज नहीं देख सकता.
कैसे काम करता है ये एन्क्रिप्शन?
आप जो मैसेज भेजते हैं, उस पर एक लॉक लगा रहता है. और आपने जिसे मैसेज भेजा है, सिर्फ़ उसी के पास उसकी चाबी होती है. हर नए मैसेज के लिए एक नए ताले-चाबी का कॉम्बिनेशन होता है. ताला भेजने वाले की तरफ से लगता है, और चाबी मैसेज रिसीव करने वाले के पास रहती है. इसीलिए किसी भी हैकर के लिए चैट को डीक्रिप्ट करना या बाहर से बैठे-बैठे चैट को खोलना बहुत मुश्किल होता है.

जब ये इतना सिक्योर है तो चैट पत्रकार के हाथ कैसे लग रही?
किसी पत्रकार ने दुनिया का बेहतरीन हैकर बनकर एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन चैट का सिक्योरिटी स्ट्रक्चर तोड़ डाला हो, ऐसा तो किसी सूरत में मुमकिन नहीं लगता. बल्कि किसी भी हैकर के लिए ऐसा करना हद दर्जे का मुश्किल काम है. लेकिन अगर चैट हैक नहीं हो सकती तो क्या, फ़ोन तो हैक किया जा सकता है.
कैसे? स्पाइवेयर डालकर. इस्राइल का पेगासस वाला किस्सा याद है? हां वही वाला, जिसको लेकर पिछले साल इंडिया में बड़ा बवाल कटा था. NSO ग्रुप ने पेगासस नाम का स्पाइवेयर बनाया था. इसकी मदद से इंडिया के कई पत्रकारों, वकीलों और ह्यूमन राइट्स ऐक्टिविस्टों की जासूसी की गई थी.
ये स्पाइवेयर फ़ोन में पहुंचकर आपके सारे मैसेज पढ़ सकता है. कॉल ट्रैक कर सकता है. फ़ोन ट्रैक कर सकता है. आपके सारे पासवर्ड ले सकता है. और तो और, फोन के माइक और कैमरा को भी एक्सेस कर सकता है. मतलब आपके फ़ोन को ही आपके खिलाफ सबसे बड़ा जासूस बना सकता है.
इसके अलावा, रिमोट एक्सेस वाली ऐप्लीकेशन भी दूसरे के फ़ोन या लैपटॉप में झांकने का मौका देती हैं. मगर इसके लिए यूजर को खुद सामने वाले को इसकी परमीशन देनी होती है. परमीशन मिलने के बाद आपकी स्क्रीन पर जो भी चल रहा होगा, वो देख सकेगा. अगर ऐसे में सामने वाला बंदा अपनी वॉट्सऐप चैट खोलता है तो वो भी दिख जाएगी.
बाक़ी तो जिन दो लोगों के बीच चैट चल रही है, उनमें से कोई एक स्क्रीनशॉट लेकर बाहर करने लग जाए तो वॉट्सऐप ही क्या कर लेगा!
और अगर कोई सामने वाले का फ़ोन हथिया ले, तब तो अलग ही बात हो जाती है. आप डायरेक्ट सारी चैट तो देख ही सकते हैं, साथ में सालों साल पुरानी चैट निकालने का भी जुगाड़ किया जा सकता है. यूजर की सहूलियत के लिए रोज़ रात में वॉट्सऐप चैट लॉग को फ़ोन में ऑटोमैटिक तौर पर बैकअप करके रखता है. अगर कुछ गड़बड़ी हो जाए तो इसी के जरिए सारी चैटें वापस निकाली जा सकती हैं. अगर ये लॉग किसी एक्सपर्ट के हाथ आ जाएं, तब आपकी सारी पिछली कहानी सामने आ सकती है.

अगर कोई गूगल के क्लाउड स्टोरेज पर वॉट्सऐप चैट को बैकअप करके रखता है तो उनसे भी चैट रिकवर की जा सकती हैं. मगर ये सालों पुरानी चैट रिकवर नहीं करता. अगर चैटें फ़ोन से डिलीट की जा चुकी हैं तो गूगल स्टोरेज से 30 दिन बाद गायब हो जाती है. हालांकि अगर कोई अचानक से क्लाउड पर चैट स्टोर करना बंद कर दे, तब तो यहां से भी गड़े मुर्दे उखाड़े जा सकते हैं.
फिलहाल ये तो तय है कि इनमें से कोई भी चीज़ पत्रकार खुद नहीं कर रहे. कुछ मीडिया खबरों के मुताबिक, इन चैट का सोर्स जांच एजेंसियां हैं.
तो क्या जांच एजेंसियां वॉट्सऐप से आपकी एन्क्रिप्टेड चैट मांग सकती हैं?
इसका सीधा जवाब है- नहीं.
वॉट्सऐप जिस देश में काम करता है, वहां के कानून को उसे मानना पड़ता है. जरूरत पड़ने पर पुलिस, सरकार या जांच एजेंसियां वॉट्सऐप से जानकारी मांग सकती हैं. ऐसे वक़्त में वॉट्सऐप जानकारी मुहैया भी कराता है, मगर इनमें यूजर की चैट शामिल नहीं होतीं. मगर क्यों?
होम|भैरंट|लल्लन ख़ास
वॉट्सऐप चैटें लीक कहां से हो जाती हैं? आपकी प्राइवेट बातचीत पर भी तो किसी की नजर नहीं?
फैसल
[email protected]
सितंबर 24, 2020 05:58 PM
वॉट्सऐप चैटें लीक कहां से हो जाती हैं? आपकी प्राइवेट बातचीत पर भी तो किसी की नजर नहीं?
वॉट्सऐप चैट को देखकर कुछ लोगों के अंदर का जासूस बाहर आ जाता है.
इधर एक-दो महीने से वॉट्सऐप की चैटें ऐसा बिथर-बिथर कर बंट रही हैं, जैसे बूंदी का लड्डू. कहीं रिया चक्रवर्ती और महेश भट्ट की चैट के स्क्रीनशॉट वायरल होते हैं तो कहीं रिया और उनके भाई के बीच की बातचीत घर-घर में डिस्कस होने लगती है. अभी तो एक न्यूज चैनल की पत्रकार ने एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की बताकर ड्रग्स रिलेटेड वॉट्सऐप चैट लीक की हैं. इसमें ‘माल’ यानी ड्रग्स मंगवाने को लेकर बातचीत हो रही है.
मगर वॉट्सऐप तो दावा करता है कि उसकी चैट एंड-टु-एंड एनक्रिप्टेड हैं. मतलब इतनी सिक्योर हैं कि अच्छे से अच्छा महारथी भी उन्हें बीच में नहीं पढ़ सकता. वह इसकी तारीफ़ करते फूला नहीं समाता. फ़िर ये पत्रकारों या जांच एजेंसियों के हाथ में कैसे आ रही हैं? क्या आपकी पर्सनल चैट भी दूसरों के हाथ इतनी ही आराम से लग सकती है? क्या पुलिस आपके फ़ोन के कॉल रिकॉर्ड की तरह आपकी चैट को भी बाहर निकलवा सकती है? यही जानेंगे आज हम आसान भाषा में. शुरुआत करते हैं एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन से.
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टू मच सिक्योरिटी
तो क्या है ये एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन?
ये एक तरह का लॉक सिस्टम है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि चैट जिन दो जनों के बीच चल रही है, उनके सिवा कोई और ना पढ़ सके. बीच में किसी भी तरह की कोई थर्ड पार्टी ना हो. वॉट्सऐप अपने एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन के बारे में कहता है कि वह भी खुद किसी के मैसेज नहीं देख सकता.
कैसे काम करता है ये एन्क्रिप्शन?
आप जो मैसेज भेजते हैं, उस पर एक लॉक लगा रहता है. और आपने जिसे मैसेज भेजा है, सिर्फ़ उसी के पास उसकी चाबी होती है. हर नए मैसेज के लिए एक नए ताले-चाबी का कॉम्बिनेशन होता है. ताला भेजने वाले की तरफ से लगता है, और चाबी मैसेज रिसीव करने वाले के पास रहती है. इसीलिए किसी भी हैकर के लिए चैट को डीक्रिप्ट करना या बाहर से बैठे-बैठे चैट को खोलना बहुत मुश्किल होता है.
जब ये इतना सिक्योर है तो चैट पत्रकार के हाथ कैसे लग रही?
किसी पत्रकार ने दुनिया का बेहतरीन हैकर बनकर एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन चैट का सिक्योरिटी स्ट्रक्चर तोड़ डाला हो, ऐसा तो किसी सूरत में मुमकिन नहीं लगता. बल्कि किसी भी हैकर के लिए ऐसा करना हद दर्जे का मुश्किल काम है. लेकिन अगर चैट हैक नहीं हो सकती तो क्या, फ़ोन तो हैक किया जा सकता है.
कैसे? स्पाइवेयर डालकर. इस्राइल का पेगासस वाला किस्सा याद है? हां वही वाला, जिसको लेकर पिछले साल इंडिया में बड़ा बवाल कटा था. NSO ग्रुप ने पेगासस नाम का स्पाइवेयर बनाया था. इसकी मदद से इंडिया के कई पत्रकारों, वकीलों और ह्यूमन राइट्स ऐक्टिविस्टों की जासूसी की गई थी.
ये स्पाइवेयर फ़ोन में पहुंचकर आपके सारे मैसेज पढ़ सकता है. कॉल ट्रैक कर सकता है. फ़ोन ट्रैक कर सकता है. आपके सारे पासवर्ड ले सकता है. और तो और, फोन के माइक और कैमरा को भी एक्सेस कर सकता है. मतलब आपके फ़ोन को ही आपके खिलाफ सबसे बड़ा जासूस बना सकता है.
जब आपका फ़ोन ही आपकी जासूसी करे.
इसके अलावा, रिमोट एक्सेस वाली ऐप्लीकेशन भी दूसरे के फ़ोन या लैपटॉप में झांकने का मौका देती हैं. मगर इसके लिए यूजर को खुद सामने वाले को इसकी परमीशन देनी होती है. परमीशन मिलने के बाद आपकी स्क्रीन पर जो भी चल रहा होगा, वो देख सकेगा. अगर ऐसे में सामने वाला बंदा अपनी वॉट्सऐप चैट खोलता है तो वो भी दिख जाएगी.
बाक़ी तो जिन दो लोगों के बीच चैट चल रही है, उनमें से कोई एक स्क्रीनशॉट लेकर बाहर करने लग जाए तो वॉट्सऐप ही क्या कर लेगा!
और अगर कोई सामने वाले का फ़ोन हथिया ले, तब तो अलग ही बात हो जाती है. आप डायरेक्ट सारी चैट तो देख ही सकते हैं, साथ में सालों साल पुरानी चैट निकालने का भी जुगाड़ किया जा सकता है. यूजर की सहूलियत के लिए रोज़ रात में वॉट्सऐप चैट लॉग को फ़ोन में ऑटोमैटिक तौर पर बैकअप करके रखता है. अगर कुछ गड़बड़ी हो जाए तो इसी के जरिए सारी चैटें वापस निकाली जा सकती हैं. अगर ये लॉग किसी एक्सपर्ट के हाथ आ जाएं, तब आपकी सारी पिछली कहानी सामने आ सकती है.
अगर कोई गूगल के क्लाउड स्टोरेज पर वॉट्सऐप चैट को बैकअप करके रखता है तो उनसे भी चैट रिकवर की जा सकती हैं. मगर ये सालों पुरानी चैट रिकवर नहीं करता. अगर चैटें फ़ोन से डिलीट की जा चुकी हैं तो गूगल स्टोरेज से 30 दिन बाद गायब हो जाती है. हालांकि अगर कोई अचानक से क्लाउड पर चैट स्टोर करना बंद कर दे, तब तो यहां से भी गड़े मुर्दे उखाड़े जा सकते हैं.
फिलहाल ये तो तय है कि इनमें से कोई भी चीज़ पत्रकार खुद नहीं कर रहे. कुछ मीडिया खबरों के मुताबिक, इन चैट का सोर्स जांच एजेंसियां हैं.
तो क्या जांच एजेंसियां वॉट्सऐप से आपकी एन्क्रिप्टेड चैट मांग सकती हैं?
इसका सीधा जवाब है- नहीं.
वॉट्सऐप जिस देश में काम करता है, वहां के कानून को उसे मानना पड़ता है. जरूरत पड़ने पर पुलिस, सरकार या जांच एजेंसियां वॉट्सऐप से जानकारी मांग सकती हैं. ऐसे वक़्त में वॉट्सऐप जानकारी मुहैया भी कराता है, मगर इनमें यूजर की चैट शामिल नहीं होतीं. मगर क्यों?
वो इसलिए कि वॉट्सऐप यूजर की चैट अपने पास नहीं रखता. एक बार मैसेज सेंड हो गया तो वो वॉट्सऐप के सर्वर पर नहीं होता. ये सिर्फ और सिर्फ यूजर के फ़ोन पर ही सेव रहता है. इसीलिए जब आप वॉट्सऐप एक फ़ोन से हटाकर दूसरे फ़ोन में डालते हैं तो आपकी चैटें गायब हो जाती हैं. अगर आपने गूगल के क्लाउड स्टोरेज पर इनका बैकअप बना रखा है, तभी ये वापस या पाती हैं.
वॉट्सऐप कहता है कि जो मैसेज डिलिवर नहीं हो पाते, वो उसके सर्वर से 30 दिन बाद हटा दिए जाते हैं. तो पते की बात ये है कि आपकी एन्क्रिप्टेड चैट को वॉट्सऐप खुद लीक नहीं कर सकता.
फिर वॉट्सऐप क्या-क्या जानकारी साझा कर सकता है?
चैट के अलावा भी वॉट्सऐप के पास आपकी बहुत-सी जानकारियां होती हैं, जिन्हें ये जांच एजेंसी या पुलिस के साथ साझा कर सकती है. इनमें शामिल है:
आपका नाम
आपने कब वॉट्सऐप पर अकाउंट बनाया
आपकी लास्ट सीन की तारीख
आपका आईपी अड्रेस
आपका ईमेल अड्रेस
आपने किसे-किसे ब्लॉक किया है
आपकी अबाउट इन्फॉर्मेशन
प्रोफाइल फ़ोटो
ग्रुप इन्फॉर्मेशन
मगर ऐसा भी नहीं है कि जांच एजेंसी ने डेटा मांगा और वॉट्सऐप ने सबकुछ उठाकर दे दिया. ऊपर दी हुई लिस्ट में से कोई भी जानकारी लेने के लिए जांच एजेंसी को ये भी बताना पड़ेगा कि उसे कौन-सी जानकारी चाहिए और क्यों. कुछ स्पेशल मौकों पर वॉट्सऐप आपके कॉन्टैक्ट की जानकारी, आपने किस शख्स से कितने बजे और कितनी देर तक चैट की, ये भी बता सकता है.
फिर NCB ने वॉट्सऐप चैट को कैसे हथिया लिया?
अभी जो ताज़ातरीन चैट लीक हुई है, वो असल में 2017 की एक ग्रुप चैट है. इस चैट को टीवी पर चलाने वाले पत्रकारों का दावा है कि ये दीपिका पादुकोण और उनकी मैनेजर करिश्मा के बीच की बातचीत है. इसका सोर्स NCB को बताया जा रहा है. हम यहां स्क्रीनशॉट नहीं लगा रहे हैं. NCB ने इनको कैसे हथियाया, इस बात का राज इन स्क्रीनशॉट में ही छिपा है.
वॉट्सऐप चैटें लीक कहां से हो जाती हैं? आपकी प्राइवेट बातचीत पर भी तो किसी की नजर नहीं?
वॉट्सऐप चैटें लीक कहां से हो जाती हैं? आपकी प्राइवेट बातचीत पर भी तो किसी की नजर नहीं?
वॉट्सऐप चैट को देखकर कुछ लोगों के अंदर का जासूस बाहर आ जाता है.
इधर एक-दो महीने से वॉट्सऐप की चैटें ऐसा बिथर-बिथर कर बंट रही हैं, जैसे बूंदी का लड्डू. कहीं रिया चक्रवर्ती और महेश भट्ट की चैट के स्क्रीनशॉट वायरल होते हैं तो कहीं रिया और उनके भाई के बीच की बातचीत घर-घर में डिस्कस होने लगती है. अभी तो एक न्यूज चैनल की पत्रकार ने एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की बताकर ड्रग्स रिलेटेड वॉट्सऐप चैट लीक की हैं. इसमें ‘माल’ यानी ड्रग्स मंगवाने को लेकर बातचीत हो रही है.
मगर वॉट्सऐप तो दावा करता है कि उसकी चैट एंड-टु-एंड एनक्रिप्टेड हैं. मतलब इतनी सिक्योर हैं कि अच्छे से अच्छा महारथी भी उन्हें बीच में नहीं पढ़ सकता. वह इसकी तारीफ़ करते फूला नहीं समाता. फ़िर ये पत्रकारों या जांच एजेंसियों के हाथ में कैसे आ रही हैं? क्या आपकी पर्सनल चैट भी दूसरों के हाथ इतनी ही आराम से लग सकती है? क्या पुलिस आपके फ़ोन के कॉल रिकॉर्ड की तरह आपकी चैट को भी बाहर निकलवा सकती है? यही जानेंगे आज हम आसान भाषा में. शुरुआत करते हैं एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन से.
टू मच सिक्योरिटी
तो क्या है ये एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन?
ये एक तरह का लॉक सिस्टम है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि चैट जिन दो जनों के बीच चल रही है, उनके सिवा कोई और ना पढ़ सके. बीच में किसी भी तरह की कोई थर्ड पार्टी ना हो. वॉट्सऐप अपने एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन के बारे में कहता है कि वह भी खुद किसी के मैसेज नहीं देख सकता.
कैसे काम करता है ये एन्क्रिप्शन?
आप जो मैसेज भेजते हैं, उस पर एक लॉक लगा रहता है. और आपने जिसे मैसेज भेजा है, सिर्फ़ उसी के पास उसकी चाबी होती है. हर नए मैसेज के लिए एक नए ताले-चाबी का कॉम्बिनेशन होता है. ताला भेजने वाले की तरफ से लगता है, और चाबी मैसेज रिसीव करने वाले के पास रहती है. इसीलिए किसी भी हैकर के लिए चैट को डीक्रिप्ट करना या बाहर से बैठे-बैठे चैट को खोलना बहुत मुश्किल होता है.
जब ये इतना सिक्योर है तो चैट पत्रकार के हाथ कैसे लग रही?
किसी पत्रकार ने दुनिया का बेहतरीन हैकर बनकर एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन चैट का सिक्योरिटी स्ट्रक्चर तोड़ डाला हो, ऐसा तो किसी सूरत में मुमकिन नहीं लगता. बल्कि किसी भी हैकर के लिए ऐसा करना हद दर्जे का मुश्किल काम है. लेकिन अगर चैट हैक नहीं हो सकती तो क्या, फ़ोन तो हैक किया जा सकता है.
कैसे? स्पाइवेयर डालकर. इस्राइल का पेगासस वाला किस्सा याद है? हां वही वाला, जिसको लेकर पिछले साल इंडिया में बड़ा बवाल कटा था. NSO ग्रुप ने पेगासस नाम का स्पाइवेयर बनाया था. इसकी मदद से इंडिया के कई पत्रकारों, वकीलों और ह्यूमन राइट्स ऐक्टिविस्टों की जासूसी की गई थी.
ये स्पाइवेयर फ़ोन में पहुंचकर आपके सारे मैसेज पढ़ सकता है. कॉल ट्रैक कर सकता है. फ़ोन ट्रैक कर सकता है. आपके सारे पासवर्ड ले सकता है. और तो और, फोन के माइक और कैमरा को भी एक्सेस कर सकता है. मतलब आपके फ़ोन को ही आपके खिलाफ सबसे बड़ा जासूस बना सकता है.
जब आपका फ़ोन ही आपकी जासूसी करे.
इसके अलावा, रिमोट एक्सेस वाली ऐप्लीकेशन भी दूसरे के फ़ोन या लैपटॉप में झांकने का मौका देती हैं. मगर इसके लिए यूजर को खुद सामने वाले को इसकी परमीशन देनी होती है. परमीशन मिलने के बाद आपकी स्क्रीन पर जो भी चल रहा होगा, वो देख सकेगा. अगर ऐसे में सामने वाला बंदा अपनी वॉट्सऐप चैट खोलता है तो वो भी दिख जाएगी.
बाक़ी तो जिन दो लोगों के बीच चैट चल रही है, उनमें से कोई एक स्क्रीनशॉट लेकर बाहर करने लग जाए तो वॉट्सऐप ही क्या कर लेगा!
और अगर कोई सामने वाले का फ़ोन हथिया ले, तब तो अलग ही बात हो जाती है. आप डायरेक्ट सारी चैट तो देख ही सकते हैं, साथ में सालों साल पुरानी चैट निकालने का भी जुगाड़ किया जा सकता है. यूजर की सहूलियत के लिए रोज़ रात में वॉट्सऐप चैट लॉग को फ़ोन में ऑटोमैटिक तौर पर बैकअप करके रखता है. अगर कुछ गड़बड़ी हो जाए तो इसी के जरिए सारी चैटें वापस निकाली जा सकती हैं. अगर ये लॉग किसी एक्सपर्ट के हाथ आ जाएं, तब आपकी सारी पिछली कहानी सामने आ सकती है.
अगर कोई गूगल के क्लाउड स्टोरेज पर वॉट्सऐप चैट को बैकअप करके रखता है तो उनसे भी चैट रिकवर की जा सकती हैं. मगर ये सालों पुरानी चैट रिकवर नहीं करता. अगर चैटें फ़ोन से डिलीट की जा चुकी हैं तो गूगल स्टोरेज से 30 दिन बाद गायब हो जाती है. हालांकि अगर कोई अचानक से क्लाउड पर चैट स्टोर करना बंद कर दे, तब तो यहां से भी गड़े मुर्दे उखाड़े जा सकते हैं.
फिलहाल ये तो तय है कि इनमें से कोई भी चीज़ पत्रकार खुद नहीं कर रहे. कुछ मीडिया खबरों के मुताबिक, इन चैट का सोर्स जांच एजेंसियां हैं.
तो क्या जांच एजेंसियां वॉट्सऐप से आपकी एन्क्रिप्टेड चैट मांग सकती हैं?
इसका सीधा जवाब है- नहीं.
वॉट्सऐप जिस देश में काम करता है, वहां के कानून को उसे मानना पड़ता है. जरूरत पड़ने पर पुलिस, सरकार या जांच एजेंसियां वॉट्सऐप से जानकारी मांग सकती हैं. ऐसे वक़्त में वॉट्सऐप जानकारी मुहैया भी कराता है, मगर इनमें यूजर की चैट शामिल नहीं होतीं. मगर क्यों?
वो इसलिए कि वॉट्सऐप यूजर की चैट अपने पास नहीं रखता. एक बार मैसेज सेंड हो गया तो वो वॉट्सऐप के सर्वर पर नहीं होता. ये सिर्फ और सिर्फ यूजर के फ़ोन पर ही सेव रहता है. इसीलिए जब आप वॉट्सऐप एक फ़ोन से हटाकर दूसरे फ़ोन में डालते हैं तो आपकी चैटें गायब हो जाती हैं. अगर आपने गूगल के क्लाउड स्टोरेज पर इनका बैकअप बना रखा है, तभी ये वापस या पाती हैं.
वॉट्सऐप कहता है कि जो मैसेज डिलिवर नहीं हो पाते, वो उसके सर्वर से 30 दिन बाद हटा दिए जाते हैं. तो पते की बात ये है कि आपकी एन्क्रिप्टेड चैट को वॉट्सऐप खुद लीक नहीं कर सकता.
फिर वॉट्सऐप क्या-क्या जानकारी साझा कर सकता है?
चैट के अलावा भी वॉट्सऐप के पास आपकी बहुत-सी जानकारियां होती हैं, जिन्हें ये जांच एजेंसी या पुलिस के साथ साझा कर सकती है. इनमें शामिल है:
आपका नाम
आपने कब वॉट्सऐप पर अकाउंट बनाया
आपकी लास्ट सीन की तारीख
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आपने किसे-किसे ब्लॉक किया है
आपकी अबाउट इन्फॉर्मेशन
प्रोफाइल फ़ोटो
ग्रुप इन्फॉर्मेशन
मगर ऐसा भी नहीं है कि जांच एजेंसी ने डेटा मांगा और वॉट्सऐप ने सबकुछ उठाकर दे दिया. ऊपर दी हुई लिस्ट में से कोई भी जानकारी लेने के लिए जांच एजेंसी को ये भी बताना पड़ेगा कि उसे कौन-सी जानकारी चाहिए और क्यों. कुछ स्पेशल मौकों पर वॉट्सऐप आपके कॉन्टैक्ट की जानकारी, आपने किस शख्स से कितने बजे और कितनी देर तक चैट की, ये भी बता सकता है.
फिर NCB ने वॉट्सऐप चैट को कैसे हथिया लिया?
अभी जो ताज़ातरीन चैट लीक हुई है, वो असल में 2017 की एक ग्रुप चैट है. इस चैट को टीवी पर चलाने वाले पत्रकारों का दावा है कि ये दीपिका पादुकोण और उनकी मैनेजर करिश्मा के बीच की बातचीत है. इसका सोर्स NCB को बताया जा रहा है. हम यहां स्क्रीनशॉट नहीं लगा रहे हैं. NCB ने इनको कैसे हथियाया, इस बात का राज इन स्क्रीनशॉट में ही छिपा है.
पहली बात तो ये कि इनका सोर्स जया साहा है. कौन हैं ये? सुशांत सिंह राजपूत की टैलेंट मैनेजर थीं. इनके पास कन्वर्सेशन का एक्सेस तभी हो सकता है, जब ये खुद उसी ग्रुप हिस्सा रही हों. जो स्क्रीनशॉट मीडिया में चल रही हैं, उनको देखकर लगता है कि ये फ़ोन में सेव होने वाली चैट लॉग या फिर गूगल के क्लाउड बैकअप से निकली हुई चैट है.
क्या NCB को ऐसे चैट निकालने का अधिकार है?
भारत के कानून के हिसाब से CBI, ED, NCB जैसी जांच एजेंसियों को ये छूट है कि वो किसी के भी फ़ोन या कंप्यूटर में पड़ी हुई जानकारी को निकलवा सकें. NCB काफ़ी टाइम से जया साहा से ड्रग्स मामले में पूछताछ कर रही है. साहा की चैटें निकलवाना इसी पूछताछ का हिस्सा हो सकता है. इससे पहले ED ने भी कुछ चैट निकलवाई थीं, जिनमें जया साहा और रिया चक्रवर्ती का नाम आने का दावा किया गया था.
क्या चैट पब्लिक करने के लिए NCB के ऊपर एक्शन लिया जा सकता है?
इन्वेस्टिगेशन के लिए चैट निकलवाना अलग चीज़ होती है, और उसे पब्लिक करना अलग चीज़. पर्सनल चैट का मीडिया में सर्कुलेट करना एक नागरिक की प्राइवेसी को तोड़ने पर सवाल उठाता है.
यूरोप और अमेरिका के डेटा प्रोटेक्शन और प्राइवेसी संबंधी कानून काफ़ी सख्त हैं. उधर ऐसी चैट का पब्लिक होना बेहद मुश्किल होता है. इंडिया में भी डेटा प्रोटेक्शन के कानून हैं. अगर जांच एजेंसी ने पर्सनल चैट को मीडिया में लीक किया है, और इसके पुख्ता सबूत हैं तो पीड़ित अपनी शिकायत को लेकर डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी के पास जा सकता है.

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