चुनावी रणभेरी बजने के बाद भी पार्टी गलियारों में खामोशी

बिहारशरीफ। आमूमन चुनावी रणभेरी बजने के बाद पार्टियों के गलियारे में चहल-पहल बढ़ जाती है। लेकिन, आश्चर्य इस बात की है कि इस बार चुनावी प्रक्रिया के चंद दिन बाकी रहने के बाद भी किसी पार्टी ने अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है। पार्टी के गलियारे में ऐसी खामोशी कभी नहीं देखी गई। पहले के विधानसभा चुनावों की बात करें तो आचार संहिता लागू होने के पहले ही पार्टियों के बीच गठबंधन तथा पार्टियों के उम्मीदवारों का नाम स्पष्ट होता था। लेकिन, इस बार ऐसा लग रहा है मानों सब कुछ कोठरी के अंदर होनी है। उम्मीदवारों के नाम के पत्ते नहीं खुलने से जहां मतदाताओं में असमंजस्य की स्थिति बनी है। वहीं दूसरी पार्टियां अपने विरोधी खेमे से उम्मीदवारों के नाम की घोषणा के इंतजार में है। प्रत्याशियों के नाम नहीं खुलने से नुक्कड़-चौराहे पर चर्चा का बाजार भी गर्म है। टिकट के लिए बोली लगाने तक की बातें सामने आ रही है। वहीं गठबंधन के बीच के गठजोड़ की अस्पष्टता भी पार्टी उम्मीदवारों के नाम की घोषणा न किया जाना माना जा रहा है। सच्चाई चाहे जो भी हो लेकिन प्रत्याशियों के नाम में देरी से मतदाताओं के मन में संदेह-संशय की भावना उपजने लगा है।

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जिले में सात विधानसभा सीटें
जिले में कुल सात विधानसभा क्षेत्र हैं। इन तमाम सीटों पर जनता दल यूनाइटेड की पकड़ रही है। हालांकि इसके पूर्व बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर डॉ. सुनील कुमार विजयी हुए थे। लेकिन उस वक्त गठबंधन की स्थिति अलग थी। भाजपा जदयू से पृथक थी। वहीं जदयू का गठजोड़ राजद से रहा था। इस कारण हिलसा की सीट राजद के पलड़े में डालनी पड़ी थी। वहीं, जदयू से बिहारशरीफ विस से जीत हासिल करने वाले डॉ. सुनील उस समय जदयू से नाता तोड़ भाजपा में शामिल हुए थे और जदयू प्रत्याशी असगर शमीम को मात देकर जीत अपने नाम किया था। लेकिन, इस बार जदयू का गठबंधन भाजपा के साथ है। अब देखना है कि इस चुनाव में बिहारशरीफ विधानसभा सीट किसके पलड़े जाता है।
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चुनाव अवधि जीत हासिल करने वाले प्रत्या्शी पार्टी
1 1951-1957 मो. अकील सैयद कांग्रेस
2 1957-1962 गिरवरधारी सिंह कांग्रेस
3 1962-67 गिरवरधारी सिंह कांग्रेस
4 1967-1969 विजय कुमार यादव कम्युनिस्ट
5 1969-1972 विजय कुमार यादव कम्युनिस्ट
6 1972-1977 वीरेन्द्र प्रसाद जनसंघ
7 1977-1980 देवनाथ प्रसाद कम्युनिस्ट
8 1980-1985 देवनाथ प्रसाद कम्युनिस्ट
9 1985-1990 शकील उज्जमा कांग्रेस
10 1990-1995 देवनाथ प्रसाद भाजपा
11 1995-2000 देवनाथ प्रसाद जनता दल
12 2000-2005 सैयद नौसादुनवी राजद
13 2005-2010 डॉ. सुनील जदयू
14 2010-2015 डॉ. सुनील जदयू
15 2015-2020 डॉ. सुनील भाजपा
विधायकों की जीत की सूची पर गौर करें तो कभी बिहारशरीफ विस क्षेत्र में कांग्रेस तथा कम्युनिस्ट की मजबूत पकड़ रही थी। लेकिन नौवें विधानसभा चुनाव के बाद दोनों ही पार्टियों की पकड़ ढीली पड़ गई। हार के बाद हार से घबराए इन पार्टियों ने गठबंधन की राह पकड़ी। लेकिन इन पार्टियों को अपने उम्मीदवारों को खड़े करने का यहां से स्थान तक नहीं मिल पाया। 2010 के बाद जदयू तथा भाजपा ही बिहारशरीफ विधानसभा पर जीत हासिल करने वाली पार्टी बनी और उसके नायक बनें डॉ. सुनील। लेकिन इस बार देखना है यह सीट किसे मिलती है और उसके उम्मीदवार कौन होते हैं?
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