वोट गिराने के लिए अब बूथ पर नहीं करना होगा इंतजार

वैशाली।

भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा के चुनाव में मतदान कर्मियों को अपने मोबाइल में बूथ एप को डाउनलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है। सबसे पहले इस एप का इस्तेमाल समस्तीपुर लोकसभा चुनाव में किया गया था। फिर झारखंड के चुनाव में इसका इस्तेमाल दो चरणों में किया गया था। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी इस एप का बखूबी इस्तेमाल हुआ था। इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में इसे पूरी तरह लागू कर दिया गया है।
निर्वाचन आयोग के द्वारा इस बार मतदाताओं को पर्ची उपलब्ध कराई जाएगी उसमें क्यू आर कोड बना होगा। मतदाताओं को वोटर आई कार्ड के साथ मतदाता पर्ची ले जाना होता है। बूथ के गेट पर ही बीएलओ के द्वारा उस पर्ची को बूथ एप के द्वारा स्कैन किया जाएगा। इसके बाद प्रथम मतदान पदाधिकारी पर्ची के क्यू आर कोड को उसी एप से स्कैन करेगा। स्कैन करते ही मोबाइल स्क्रीन पर मतदाता की रंगीन तस्वीर सहित सूची में किस क्रमांक पर नाम दर्ज है, उम्र सहित एपिक नंबर क्या है, दिखने लगेगा। स्कैन के बाद चुनाव आयोग के पोर्टल पर तुरंत सारी जानकारी अपलोड हो जाएगी। इस एप के ये हैं फायदे चुनाव आयोग के पोर्टल पर सारी जानकारी अपलोड होते ही वोटर हेल्पलाइन एप पर जानकारी अपलोड हो जाएगी कि अभी कितने वोटर उस बूथ पर उपस्थित हैं। कोरोना संक्रमण काल के इस दौर में यह एप फिजिकल डिस्टेंसिग में भी काफी सहायक होगा। वोटर की पहचान करने में प्रथम मतदान पदाधिकारी को काफी सुविधा होगी। निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने में यह एप काफी कारगर साबित हो सकता है।

चुनाव आयोग के मुताबिक इस एप के जरिये मतदान के दिन बूथों में मतदान प्रतिशत की जानकारी रियल टाइम में मिल जाएगी। इससे यह भी आसानी से पता चल जाएगा कि कितने पुरुष और कितने महिला वोटरों ने वोट डाले।
इस एप की यह भी खासियत है कि यह ऑफलाइन भी काम करता है। जहां मोबाइल नेटवर्क की समस्या है, वहां भी इसका आसानी से उपयोग किया जा सकता है। अगर किसी वोटर के पास क्यू आर कोड वाली पर्ची नहीं है तो इसमें एपिक के नंबर से या नाम से भी वोटर की पहचान की जा सकती है।
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