गोगरी की धरती पर आए थे गांधी जी

खगड़िया। आज गांधी जयंती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का गोगरी से भी नाता रहा है। जिनकी प्रेरणा से गोगरी प्रखंड आजादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई थी। स्वतंत्रता सेनानियों का आत्मबल व हौसला आफजाई को लेकर गांधी जी यहां पहुंचे थे। यहां रात भी गुजारी। यह बात असहयोग आंदोलन के समय की है। उस समय विदेशी वस्तुओं का न सिर्फ विरोध हो रहा था, बल्कि विदेशी वस्तुओं को जलाने के साथ स्वदेशी को बढ़ावा दिया जा रहा था। इस दौरान तत्कालीन मुंगेर जिला के गोगरी में भी स्वतंत्रता सेनानी इस कार्य से जुड़ चुके थे।

यहां के गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी पंडित सुरेशचंद्र मिश्र के आग्रह पर गांधी जी 1920 में गोगरी पहुंचे। गांधी जी पहले मुंगेर पहुंचे। वहां से जहाज पर गोगरी गंगा घाट पहुंचे और पैदल ही दियारा क्षेत्र में लोगों से मिलते व असहयोग आंदोलन को ले प्रेरित करते हुए गोगरी आश्रम टोला पहुंचे। जो वर्तमान दक्षिणी जमालपुर पंचायत में है। यहां गांधी विचारकों द्वारा आश्रम का निर्माण किया गया था। यहां गांधीजी आश्रम में पहुंच असहयोग आंदोलन के तहत स्वयं चरखा से सूत काटकर स्वदेशी अपनाओ का नारा देते हुए लोगों को प्रेरित किया। यहां रात भी गुजारी तथा क्षेत्र का भ्रमण कर लोगों को इस अभियान से जोड़ते रहे।
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स्वतंत्रता सेनानी स्व. मुरली मनोहर प्रसाद के पुत्र कहते हैं कि पिता जी हमेशा गांधी की गोगरी यात्रा का जिक्र किया करते थे। नहीं बच सकी गांधी जी के आगमन की निशानी
असहयोग आंदोलन के दौरान गांधी जी गोगरी में आकर जिस आश्रम में रुके तथा वहां से क्षेत्र के लोगों को स्वदेशी व अहिसा का पाठ पढ़ाया। वह आश्रम आज अपना अस्तित्व खो चुका हैं। वर्तमान में इस आश्रम की मात्र एक दीवार बची है। जो आश्रम की निशानी है। यहां बसा मुहल्ला आज भी आश्रम के नाम से जाना जाता है। दो दशक पूर्व तक यहां उसी आश्रम में गांधी प्राथमिक विद्यालय संचालित था। पर विद्यालय को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया। उसके बाद भवन संरक्षण व देखरेख के अभाव में ढह गया।
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