रक्सौल जिला बना तो नाम होगा उत्तरी चंपारण

मोतिहारी। विश्व के मानचित्र पर रक्सौल की अपनी पहचान है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय महत्व के इस शहर को जिले का दर्जा नहीं मिल पाया। यह देश-विदेश में गेटवे ऑफ नेपाल के नाम से जाना जाता है। आयात-निर्यात के कारण शहर आर्थिक नगरी के रूप में ख्यातिप्राप्त है। इसे जिला बनाने की मांग उठती रही है, लेकिन पूरी नहीं हुई। अगर रक्सौल जिला बनेगा तो इसका नाम होगा उत्तरी चंपारण।

रक्सौल शहर करीब आठ किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। साथ ही यह फिलहाल चार प्रखंडों का अनुमंडल है। इसके अलावा अनुमंडल में पलनवा एक प्रस्तावित प्रखंड है। करीब चालीस वर्ष पहले पलनवा को प्रखंड बनाने की योजना तैयार की गई। रक्सौल नगर परिषद में 25 वार्ड हैं। शहर के दक्षिण में धनगढ़वा-कौड़ीहार, उत्तर पनटोका, पूरब नोनयाडीह और पश्चिम में जोकियारी पंचायत है। इसकी आबादी करीब दो लाख है। नगर की आबादी स्थायी रूप से 1,80,000 है। वहीं अस्थायी आबादी करीब पांच लाख है। भले ही बापू के चंपारण आगमन के शताब्दी समारोह में रक्सौल को शामिल नहीं किया गया था, लेकिन यहां महात्मा गांधी का आगमन तीन बार हुआ है।
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सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील:
सुरक्षा के लिहाज से रक्सौल काफी संवेदनशील सीमाई क्षेत्र है। भारत-नेपाल की खुली सीमा होने के कारण देश विरोधी संगठनों की नजर बनी रहती है। ग्रामीण रास्ते से अपराधी, आतंकी, बड़ी आसानी से सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर आते-जाते है। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर जिला स्तरीय प्रशासन की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार ने पहल की, लेकिन जिले का दर्जा नहीं मिला। इस शहर को स्मार्ट सिटी और नेपाल के सीमावर्ती पर्सा और बारा जिले के समकक्ष विकसित करने की योजना आवश्यक है। जिला बना तो इतने प्रखंड हो सकते
रक्सौल अनुमंडल में रक्सौल, आदापुर, छौड़ादानो प्रखंड है। पलनवा और नरकटिया प्रखंड प्रस्तावित हैं। इसके अलावा घोड़ासहन, पश्चिमी चंपारण का सिकटा प्रखंड इस जिले का अंग हो सकता है। इसमें दो प्रखंड नक्सल प्रभावित है। जिला नहीं बनने से उक्त दो प्रखंडों का समुचित विकास नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में रक्सौल को जिला का दर्जा मिलते ही इस क्षेत्र के लोगों का विकास संभव हो जाएगा। सुरक्षा और बुनियादी सुविधा की दृष्टि से सबल हो जाएगा।

.. तो आर्थिक नगरी के रूप में विकसित होगा शहर
जिला बनने से शहर का आर्थिक विकास भी होगा। फिलहाल लोगों को कल-कारखानों का निबंधन कराने और योजनाओं की जानकारी के लिए साठ किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इसके कारण संपन्न लोग ही उद्योग-धंधों से जुड़ते है। छोटे व्यवसायी या तो बगैर निबंधन के कार्य करते है या जानकारी के अभाव में योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते है। इतना मिलता राजस्व
सरकारी आंकड़ों के अनुसार सीमा शुल्क कार्यालय का प्रतिवर्ष राजस्व संकलन दो अरब पैंतालीस करोड़, आईओसी का एक अरब पचीस करोड़, रेलवे को करीब दो अरब यात्री और माल ढ़लाई से, विभिन्न बैंकों से दो अरब और भारतीय जीवन बीमा निगम की आय के मामले में बिहार और झारखंड में रक्सौल शाखा एक नंबर पर है। इसी तरह भूमि निबंधन और नगर परिषद, आयकर व वाणिज्य कर की आय सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। रक्सौल में अवैध व्यापार होता है। आतंकियों की नजर रहती है। जिलास्तरीय प्रशासनिक व्यवस्था से सुरक्षा तंत्र औऱ मजबूत होगी। सीमावर्ती क्षेत्र के संपूर्ण विकास के लिए रक्सौल को जिला बनाना आवश्यक है। जिला बनते ही सीमावर्ती क्षेत्र का विकास होगा।
भरत प्रसाद गुप्ता
सामाजिक, साहित्यिक संगठन संभावना के संस्थापक अध्यक्ष, रक्सौल रक्सौल में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क का हाल बेहाल है। जिला बनाने के साथ ही सरकार को उच्च शिक्षण संस्थान, तकनीकी शिक्षा केंद्र, सड़कों के चौड़ीकरण, नाला, खेल मैदान आदि की समुचित व्यवस्था के लिए स्पेशल पैकेज देना होगा। जिला बनने से संपूर्ण विकास होगा।
ध्रुवनरायण प्रसाद श्रीवास्तव उर्फ बड़ा बाबू, उपाध्यक्ष चैंबर ऑफ कॉमर्स, रक्सौल रक्सौल का विकास इसकी महत्ता के अनुसार नहीं हुआ। इसे जिला बनाने की बात करीब चालीस वर्षों से चल रही है। जब चुनाव आता है तो जिला बनाने का मुद्दा उठता है। परंतु अब तक जिला नहीं बन सका है। रक्सौल को शीघ्र जिला का दर्जा मिलना चाहिए।
संजय कुमार पटेल, पैक्स अध्यक्ष, भेलाही सीमावर्ती शहर के विकास के लिए रक्सौल को जिला बनाना आवश्यक है। रक्सौल अनुमंडल के दो प्रखंड और रामगढ़वा की कुछ पंचायतें नक्सल प्रभावित हैं। इस परिस्थिति में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर रक्सौल को जिला बनाना आवश्यक है।
कपिलदेव सर्राफ, रक्सौल पटेल पथ निवासी स्वर्ण व्यवसायी
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