प्रदूषण से कोरोना का बढ़ रहा खतरा

पूर्णिया। पिछले कई वर्षों से सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण से बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है। फॉग और स्मॉग से खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। अबतक जिले में इसको लेकर किसी भी स्तर पर जागरुकता नजर नहीं आती है। इन इलाकों में धीरे-धीरे स्थिति खतरनाक बन रही है। किसानों द्वारा पराली जलाने का मामला यहां अधिक नहीं है। यहां सबसे अधिक चुनौती शहरी इलाके में है जहां कचरे को संग्रह कर आग लगा दिया जाता है। इसके साथ ही यातायात परिवहन से निकलने वाले धुआं खतरा बनता जा रहा है। सर्दी के मौसम सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इस कारण से दुर्घटना और लोगों के फेफड़े में परेशानी हो रही है। कोरोना महामारी के दौरान यह समस्या काफी विकराल बन सकती है।

पूर्णिया इंजीनियरिग कॉलेज में होगी कोसी स्नातक निर्वाचन की मतगणना यह भी पढ़ें
गांवों में किसान खेतों में पराली जलाते हैं। यहां सीमित मात्रा में ही सही लेकिन समस्या तो है। इसके साथ ही पालतु पशुओं और स्वयं के लिए अंगूठी जलाते हैं। यह सब थोड़ा -थोड़ा ही वातावरण को विषाक्त करने के लिए काफी है। इसके साथ ही शहरी इलाके में मोटर गाड़ी के अलावा कचरे में आग लगा दी जाती है। इस कारण से आंखों में परेशानी, दम फूलना, अस्थमा के रोगी को सांस लेने में दिक्कत, ह्दय रोग और फेफड़े की समस्या हो जाती है। कोरोना के समय में इस बार लोगों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसलिए सावधानी आवश्यक है। इसके साथ ही शहरी इलाके में बड़ी संख्या में निर्माण कार्य भी वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है। ट्रैक्टर बिना ढ़के ही ढुलाई का कार्य होता है।
शुद्ध वायु क्या होती है इसका एक नमूना लोगों को लॉकडाउन के दौरान देखने को मिला जब सभी तरह के निर्माण कार्य, फैक्ट्री का संचालन और मोटर गाड़ी के आवागमन पर रोक था। अगर प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए ठोस पहल नहीं की गई तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे। अभी पिछले अनुभव के आधार पर जिले में स्थिति नियंत्रण में है लेकिन यही रफ्तार रहा तो सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। लोगों के फेफड़े में धीरे-धीरे इसका असर पड़ता है। इससे बचाव के लिए पौधारोपण जरूरी है। साथ ही नगर-निगम को भी कचरा निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए डंपिग यार्ड बनाने की आवश्यकता है। साथ ही इलाके में मेडिकल कचरा का भी समुचित निस्तारण नहीं होना बड़ी समस्या है उस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। धुआं निकलने वाले पुराने वाहनों के परिचालन पर भी तत्काल रोक लगनी चाहिए।
नदी और तालाब की सफाई भी एक उपाय हो सकता है। सौरा नदी भी प्रदूषित हो चुकी है जिसके सफाई के लिए भी अभियान भी चलाया जा रहा है। कोट-
वायु प्रदूषण से तो सभी मौसम में समस्या होती है लेकिन सर्दी के मौसम में ज्यादा घातक हो जाती है।
डॉ. एनके झा,वरिष्ठ चिकित्सक,सदर अस्पताल

डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार