जागरुकता और पौधारोपण से नियंत्रित होगी प्रदूषण की समस्या

संवाद सूत्र, अररिया: विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले हैं, वहीं कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं, जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर है। वातावरण संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण के प्रभाव है, जिससे आज हर कोई त्रस्त है। जनसाधारण को प्रदूषण से उत्पन्न खतरों से अवगत कराया जाय जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर प्रदूषण कम से कम करने का हर सम्भव प्रयास ईमानदारी से करें साथ ही विस्तृत पैमाने पर उचित वृक्षारोपण कर प्रदूषण को कम किया जा सकता है। इसके लिये सरकार को चाहिए कि वह जगह-जगह कुछ ऐसी भूमि की व्यवस्था करे जहां पर व्यक्ति अपने नाम से, यादगार व स्वास्थ्य के लिए कम से कम एक पौधा लगा सके। ये बातें एडीएम अनिल कुमार ठाकुर ने कही। वे शनिवार को कार्यालय कक्ष में बढ़ते प्रदूषण के समस्या पर अपने विचार साझा कर रहे थे। इस दौरान एडीएम ने कहा कि प्रदूषण आज एक बहुत बड़ी समस्या हो गई। बच्चे, बूढ़े, युवा सभी प्रदूषण के कारण कई तरह के बीमारियों के शिकार हो रहे है। सरकार और आम लोगो के सामूहिक प्रयास से इस खतरे से निपटा जा सकता है। एडीएम ने कहा कि प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण कारण जनसंख्या में अत्यधिक बढ़ोतरी भी है। हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकते है साथ ही प्राकृतिक संसाधनों, कूड़े-कचरे व अवांछित पदार्थों का नियोजित ढंग से प्रबंध कर तथा विषैले रसायनों का प्रचलन को रोक कर भी प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।


- चारों तरफ हरियाली से बनेगी बात- एडीएम ने कहा कि प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लंबी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण ही है। प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है। एडीएम ने कहा कि विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों।
वनों की कटाई पर सख्ती से लगे रोक- एडीएम ने बताया कि वनों की अवैध कटाई पर वैसे सख्त कानून बनाये गए है मगर आम लोगो के सहयोग से इस कानून की और सख्त किये जाने की जरूरत है। एडीएम ने कहा की बढ़ती जनसंख्या भी एक महत्वपूर्ण कारण हैं, जिस कारण लगातार वनों को काटा गया है। पर्यावरण प्रदूषण के पीछे सबसे बड़े कारणों में से एक निर्वनीकरण है। वृक्ष ही वातावरण को शुध्द करते हैं।
उपाय को अपनाकर बचे प्रदूषण से - बढ़ते प्रदूषण के समस्या पर जानकारी साझा करते हुए सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि प्रदूषण से कई तरह के तरह के रोग होते है। जिसमे अस्थमा, कैंसर ह्रदय रोग आदि शामिल है। इससे बचने के लिए हमें कार पूलिग,पटाखों को ना कहकर,रीसायकल/ पुनरुयोग कर,अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर,कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित, पेड़ लगाकर,काम्पोस्ट का उपयोग कर,प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके,रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर,कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर,योजनापूर्ण निर्माण करके हम प्रदूषण से होने वाले गंभीर रोगों से बच सकते हैं।
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