समाजवादियों के इस गढ़ में टूट रही विचारधारा

सतीश कुमार: सासाराम, रोहतास। आध्यात्मिक और ऐतिहासिक ²ष्टिकोण से महत्वपूर्ण सासाराम विधानसभा की सीट पर कभी सोशलिस्टों का डंका बजता था। लगभग तीन दशक तक समाजवादियों का सासाराम विधानसभा सीट पर कब्जा रहा है। स्वतंत्रता सेनानी जगन्नाथ सिंह जहां 1952 की विधानसभा चुनाव में निर्वाचित हुए वहीं 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से बिपिन बिहारी सिन्हा जीते। 1969 में पुन : बिपिन बिहारी सिन्हा विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1972 में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने के बावजूद शोषित दल से रामसेवक सिंह विधायक बने। वर्ष 1977 में बनी गैर कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी से एक बार फिर बिपिन बिहारी सिन्हा को यहां की जनता ने निर्वाचित कर विधानसभा भेजा था। वर्ष 1980 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बावजूद जनता पार्टी एस से सोशलिस्ट नेता रामसेवक सिंह यहां से चुने गए। वर्ष 1985 में वे पुन: लोकदल से रामसेवक सिंह चुनाव जीते। वर्ष 1990 में इस सीट पर भाजपा का कब्जा हो गया। 1990 और 1995 में भाजपा की ओर से जवाहर प्रसाद विधायक बने। वर्ष 2000 में राजद ने इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया। उस वर्ष राजद की ओर से अशोक कुमार चुनाव जीते थे। वर्ष 2005 में राजद को एक बार फिर यहां शिकस्त खानी पड़ी। वर्ष 2005 से 15 तक भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा जमाए रखापर 2015 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में राजद उम्मीदवार अशोक कुमार यहां से जीते। हालांकि 2020 में वे राजद छोड़ जदयू में शामिल हो गए। अशोक कुमार व जवाहर प्रसाद के बीच तीन दशक से चले चुनावी दंगल का भी पटाक्षेप हो गया। 1952: जगन्नाथ सिंह, कांग्रेस

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1957: बिपिन बिहारी सिन्हा, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी 1962: डॉ. दुखन राम, कांग्रेस 1967: विनोद कुमार सिन्हा, कांग्रेस 1969: बिपिन बिहारी सिन्हा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी 1972: रामसेवक सिंह शोषित दल 1977: बिपिन बिहारी सिन्हा जनता पार्टी 1980: रामसेवक सिंह, जनता पार्टी एस 1985: रामसेवक सिंह लोकदल 1990- 2000 : जवाहर प्रसाद, भाजपा वर्ष 2000 डॉ अशोक कुमार, राजद वर्ष 2005- 2015 : जवाहर प्रसाद , भाजपा वर्ष 2015 : डॉ अशोक कुमार, राजद
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