कभी शेखपुरा था कांग्रेस का गढ़ अब टिकट के लाले

शेखपुरा। कांग्रेस को अपने ही गढ़ शेखपुरा में टिकट के लाले पड़ गए हैं। कांग्रेस की यह स्थिति प्रदेश की राजनीति में बढ़ते गठबंधन के दौर की नियति कहें या फिर क्षेत्रीय स्तर पर शेखपुरा की राजनीतिक सरजमीं पर पार्टी में कद्दावर नेता की कमी। 1952 से 2015 तक हुए हुए 16 आम व उप चुनाव में से 12 दफे कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।

शेखपुरा विधानसभा से 1957 के चुनाव में बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह ने भी चुनावी जीत हासिल किया था। बाद में यह सीट कांग्रेसी दिग्गज राजो सिंह का पर्याय भी बना। मगर गठबंधन की राजनीति की मौजूदा स्थिति ने यहां कांग्रेस को दया का पात्र बना दिया है। गठबंधन की राजनीति में 2015 के चुनाव में कांग्रेस को जदयू का खेबनहार बनना पड़।
बरहगैन नहर की उड़ाही व चीनी मिल चालू करने की आस में पथरा गई हैं बुजुर्गों की आंखें यह भी पढ़ें
1977 के जनता पार्टी की लहर तथा उसके बाद 1990 में लालू यादव की लहर में भी शेखपुरा विधानसभा ने कांग्रेस का मस्तक ऊंचा रखा था। दोनों चुनावों के विपरीत लहर में यहां कांग्रेस की जीत हुई थी। शेखपुरा सीट पर 2005 के चुनाव में कांग्रेस की अंतिम जीत हुई थी। इसके बाद पार्टी यहां चुनावी राजनीति की मुख्य धारा में आने को बैचेन है।
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार