प्रदूषण से बचाव के लिए भगीरथ प्रयास की दरकार

पूर्णिया। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाव के लिए भगीरथी प्रयास करने की आवश्यकता है। प्रदूषण से बहुस्तरीय नुकसान हो रहा है। पर्यावरण का नुकसान तो होता ही है और उसका दुष्प्रभाव प्राणी जगत को भुगतना पड़ता है। इससे पारिस्थितिक तंत्र ही खतरे में आ गया है। प्रदूषण से जल, वायु और मृदा सभी स्तर पर नुकसान हो रहा है। पूर्णिया जिला में वन क्षेत्र काफी कम गया है। इसको बढ़ाने का सार्थक पहल का अभाव है। भोला पासवान शास्त्री कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक पंकज कुमार ने बताया कि पेड़ और जंगल पहरेदार की भूमिका में होता है। शहरीकरण से फैल रहे प्रदूषण को कम करने में इनकी भूमिका बड़ी होती है। हम दोहरी गलती कर रहे हैं। एक तरफ अपने तमाम जल, वायु और मृदा तीनों को प्रदूषित कर रहे हैं और उसके पहरेदार वन क्षेत्र को विकास की अंधी दौड़ में नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब समय आ गया है सचेत हो जाए पौधारोपण को अभियान का हिस्सा बनाना चाहिए। इसके साथ ही नदी और तालाब में बढ़े गाद की सफाई करनी चाहिए। इसके साथ ही प्रदूषण कम करने के लिए ठोस प्रयास किया जाए। किट नाशक दवाओं का इस्तेमाल, सड़क परिवहन से निकलने वाला धुंआ, किसानी कार्य में पराली जलाने में सर्दी के समय में अधिक खतरा उत्पन्न हो गया है। जल को बिना सोचे-विचारे हमारे जलस्त्रोतों में ऐसे पदार्थ मिला रहा है जिसके मिलने से जल प्रदूषित हो रहा है। नदी, तालाब, कुएं, झील गांव में लोगों के तालाबों, नहरों में नहाने, कपड़े धोने, पशुओं को नहलाने बर्तन साफ करने आदि से भी ये जल स्त्रोत दूषित होते हैं। अवशिष्ट पदार्थों के निष्पादन की समुचित व्यवस्था के साथ-साथ इन अवशिष्ट पदार्थों को निष्पादन से पूर्व दोषरहित किया जाना चाहिए। नदी या अन्य किसी जल स्त्रोत में अवशिष्ट बहाना या डालना गैरकानूनी घोषित कर प्रभावी कानून कदम उठाने चाहिए। मानव जगत को होता है नुकसान -- डॉ. डी राम का बताया कि हवा में जहरीली होने पर सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन होना आम बात है। इसके साथ ही जुकाम होना, खांसी, टीबी और गले में इंफेक्शन, साइनस, अस्थमा, हर्ट और फेफड़ें संबंधित परेशानी हो सकती है। नदी और तालाब की सफाई के लिए व्यापक अभियान चलानी होगी। इसके साथ ही सौरा नदी की सफाई के लिए अभियान को रफ्तार देना होगा। अधिक से अधिक पेड़ लगाए जिस कारण कार्बन डाईऑक्साइड लेते हैं ऑक्सीजन छोड़ते हैं। अधिक से अधिक पेड़ लगाया जाए। इससे बचाव के लिए पौधारोपण जरूरी है। साथ ही नगर-निगम को भी कचरा निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए डंपिग यार्ड बनाने की आवश्यकता है। साथ ही इलाके में मेडिकल कचरा का भी समुचित निस्तारण नहीं होना बड़ी समस्या है उस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। धुआं निकलने वाले पुराने वाहनों के परिचालन पर भी तत्काल रोक लगनी चाहिए।

2015 में महिला वोटरों ने दिखाया था दम, इस बार भी अधिक वोटिग की उम्मीद यह भी पढ़ें
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार