इलाज व सावधानी ही फाइलेरिया से बचाव का एक मात्र उपाय

बिहारशरीफ। कोविड 19 के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग राज्य को फाइलेरिया जैसे गंभीर संक्रामक रोग से भी मुक्ति दिलाने के लिए तत्पर है। इसलिए 28 सितंबर से सभी फाइलेरिया प्रभावित जिलों में सर्वजन दवा सेवन अभियान चला कर दो साल से उपर के बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक को इसकी दवा खिलाई जा रही है। फाइलेरिया, लिफेटिक फाइलेरियासिस या हाथीपांव मच्छर से फैलने वाला एक दर्दनाक रोग है, जिसमें संक्रमित व्यक्ति के शरीर का प्रभावित हिस्सा विकलांग हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, फाइलेरिया उन संक्रामक रोगों में से एक है जिनसे देश में प्रति वर्ष काफी लोग प्रभावित हो रहे हैं।

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रोग के लक्षण
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. राजेन्द्र कुमार राजेश ने बताया फाइलेरिया लाइलाज है। यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फाइलेरिया होने के लक्षण हैं। तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर उपचार शुरू करवाना सुनिश्चित करवाएं। फाइलेरिया से संक्रमित हो जाने पर लंबे समय तक इलाज चलने और दवा की खुराक पूरी करने पर रोगी सामान्य जीवन जी सकता है। दवाई की खुराक पूरी नहीं करने पर यह रोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक है। इसलिए सभी सरकारी चिकित्सा केन्द्रों पर डीईसी दवा निशुल्क उपलब्ध है जिसे 5 सालों तक साल में एक बार लेना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि 1793 स्वास्थ्य कर्मियों की टीम घर घर जाकर कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए एलबेंडाजोल औए डीईसी की दवा कटोरी में डालकर अपने सामने खिला रही हैं ताकि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को पूर्ण रूप से सफल बनाया जा सके।
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छोटे शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को ना दें इसकी खुराक:
जिला फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के इंस्पेक्टर रामानन्द ने बताया कि गर्भवती महिलाओं, दो साल से कम उम्र के बच्चों और किसी गंभीर रोग होने पर फाइलेरिया की दवा नहीं खिलानी है। इसके साथ दो से पांच वर्ष की उम्र तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली, छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली देने का निर्देश दिया गया है। ये गोलियां हमेशा चबा कर खाएं और खाली पेट कभी भी नहीं खाएं। अन्यथा नुकसान दायक हो सकता है।
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आहार और सफाई पर ध्यान दें :
फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है और मच्छर गंदगी में पैदा होते है। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, कूड़ा जमने ना दें, जमे पानी पर कैरोसीन छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें। डॉ. राजेन्द्र कुमार राजेश ने बताया फाइलेरिया के रोगी के लिए प्रोटीन फायदेमंद होता है। अत: उनके आहार में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं और भरपूर तरल पदार्थ शामिल करें ताकि भोजन पचाने में आसानी हो।
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