मादक पदार्थों की तस्करी से रहा है इलाके का गहरा संबंध

बक्सर : मादक पदार्थों की तस्करी से इलाके का काफी पुराना गहरा संबंध रहा है। मगर यह जबरदस्त चर्चा में उस समय आया जब वर्ष 2003 में बलिहार एवं नगपुरा गांव से करीब 40 क्विंटल गांजा पुलिस को हाथ लगा। इसके बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नैयर हसनैन खां ने दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय देते हुए इस धंधे में संलिप्त कारोबारियों के खिलाफ जो कार्रवाई किया उसकी याद आज भी हर किसी के जेहन में है। परन्तु समय के साथ पुन: यह धंधा नए सिरे से क्षेत्र में पांव पसारने लगा और देखते ही देखते इसके कारोबारी बेखौफ अपने कारोबार को अंजाम देने लगे।

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इधर, धीरे-धीरे इसकी भनक पुलिस को लगी और 27 मार्च 2012 को प्रशिक्षु डीएसपी मो. तनवीर हसन के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम ने पुन: बलिहार में छापेमारी कर भारी मात्रा में अवैध गांजा बरामद किया। इस मामले में भी धंधेबाजों के विरुद्ध एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई हुई। लेकिन कम समय में करोड़पति बनने की चाहत ने इन्हें पीछे मुड़कर नहीं देखने दिया और ये ठिकाने बदल-बदल कर अपने धंधे को सफलता पूर्वक संचालित करते रहे। वर्ष 2014 में कृष्णाब्रह्मा थाना क्षेत्र के कठार गांव से एक ट्रक, विशेश्वर डेरा चक्की से 39 किलो एवं 1992 में ब्रह्मापुर से एक ट्रक के अलावा सिमरी थाना के मझवारी से करीब 12 व सहियार पंचायत दुल्लहपुर से 7 क्विंटल के अलावा 2017 में मिशन मोड़ से एक कंटेनर एवं नवंबर 2019 में बलिहार गांव स्थित एक गड्ढे से 15 किलो गांजे की बरामदगी मादक पदार्थ के तस्करों का इलाके से गहरे रिश्ते को रेखांकित करता है।
पुलिस पर हो चुका है हमला
सिमरी थाना क्षेत्र के बलिहार गांव में गांजा तस्कर को पकड़ने गई स्थानीय पुलिस पर हमले भी हो चुके है। पुलिस सूत्रों की मानें तो गुप्त सूचना के आधार पर 11 अगस्त 2012 की रात एक गांजा तस्कर को पकड़ने के लिए तत्कालीन थानाध्यक्ष के नेतृत्व में गई पुलिस पर कारोबारियों द्वारा ईट्ट-पत्थरों से हमला कर पुलिस को भागने पर विवश कर दिया था। इस घटना में कई पुलिस कर्मी भी घायल हुए थे। उसके बाद पुलिस द्वारा कड़ी कार्रवाई भी की गई। लेकिन समय के साथ इसका प्रभाव समाप्त हो गया।
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