संगठन के साथ सत्ता की चाहत, जिलाध्यक्षों को मिल रही निराशा

मधेपुरा। विधानसभा चुनाव में लगभग सभी प्रमुख दलों के जिलाध्यक्ष टिकट पाने के लिए लाइन में थे। दो पार्टियों के जिलाध्यक्ष को तो निराशा हाथ लग चुकी है। अब तीसरी पार्टी के जिलाध्यक्ष अब भी जीजान से जुटे हुए हैं। विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही भाजपा, जदयू व राजद के जिलाध्यक्ष ने अपने अपने पसंदीदा क्षेत्र से टिकट की दावेदारी ठोंक दी। संयोग ऐसा की सभी जिलाध्यक्ष मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र से ही उम्मीदवार बनना चाह रहे थे। भाजपा के खाते ही नहीं आई सीट भाजपा ने मधेपुरा सीट पर मजबूत दावेदारी कर रखी थी। उम्मीदवार बनने के लिए जिलाध्यक्ष स्वदेश कुमार भी रेस में थे, लेकिन भाजपा के खाते में यह सीट नहीं आई। एनडीए में सीट बंटवारे में यह सीट जदयू को दे दी गई। भाजपा का जिला संगठन जिले में मधेपुरा व बिहारीगंज सीट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव राज्य इकाई को दिया था। इसमें से भाजपा मधेपुरा सीट भाजपा के खाते में आने को लेकर ज्यादा आशान्वित थी। इसकी वजह 2015 का चुनाव था। इस चुनाव में जदयू यहां से नहीं लड़ी थी। महागठबंधन के तहत राजद के साथ मिलकर लड़ी जदयू ने राजद को यह सीट दी थी। राजद की सिटिग सीट रहने का फायदा उसे मिला था। जिलाध्यक्ष पहले ही राउंड में छंट गए। क्योंकि मधेपुरा सीट जदयू के खाते में दे दी गई। भाजपा 2015 में जदयू से अलग होकर चुनाव मैदान में उतरी थी। भाजपा उम्मीदवार के रूप में आए विजय कुमार विमल ने 50 हजार से अधिक मत प्राप्त किया था। भाजपा की दावेदारी का मजबूत आधार यही था।

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जदयू जिलाध्यक्ष को हाथ लगी निराशा
मधेपुरा सीट जदयू के खाते में तो आई लेकिन जिलाध्यक्ष बिजेंद्र नारायण यादव को पार्टी ने उम्मीदवारी नहीं दी। जिलाध्यक्ष को यहां निराश होना पड़ा। जबकि जिलाध्यक्ष इस बार टिकट मिलने को लेकर काफी कंफर्म थे। क्षेत्र में लोगों से मिलना जुलना भी प्रारंभ कर दिए थे, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने देश की राजनीति को बदलने वाले मंडल आयोग के अध्यक्ष रहे बीपी मंडल के पौत्र निखिल मंडल पर भरोसा जताया। निखिल मंडल के उम्मीदवारी की घोषणा के साथ जदयू जिलाध्यक्ष की आस भी टूट गई।
राजद जिलाध्यक्ष निराश जदयू व भाजपा के जिलाध्यक्ष को टिकट मिलने में निराशा मिलने के बाद जिलाध्यक्षों में से अब टिकट दावेदारी में सिर्फ राजद जिलाध्यक्ष बचे हैं। इनकी आस अब भी बनी हुई है। राजद जिलाध्यक्ष जयकांत यादव ने राजद में मजबूत दावेदारी कर रखी है। पार्टी अब तक किसी फैसले पर नहीं पहुंच पाई है। राजद के सिटिग विधायक होने के बावजूद जिलाध्यक्ष ने दावेदारी की है। पार्टी अब तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाई है। लेकिन इधर सोशल मीडिया पर सर्वाधिक बहस मधेपुरा सीट से राजद प्रत्याशी को लेकर ही हो रही है। राजद लगातार दो टर्म से इस सीट पर काबिज है। वर्तमान विधायक प्रो. चंद्रशेखर 2010 व फिर 2015 में राजद टिकट पर चुनाव जीते हैं।
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