40 दिनों का गतिरोध खत्म, जिला परिषद की निर्विरोध अध्यक्ष बनीं तनुजा

बिहारशरीफ। जिला परिषद में पिछले 40 दिनों से चल रही खींचतान का समापन हो गया। बुधवार को डीएम योगेंद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस्लामपुर की तनुजा कुमारी को निर्विरोध जिला परिषद अध्यक्ष चुन लिया। बता दें कि बीते एक सितंबर को जिला परिषद अध्यक्ष कुमारी मीर सिन्हा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें 21 सदस्यों ने योजनाओं के क्रियान्वयन में मनमानी समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कुल 34 में से 21 सदस्यों ने उनके विरोध में मतदान किया था। तब से अध्यक्ष का पद रिक्त चल रहा था।

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राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर बुधवार को हरदेव भवन सभागार में डीएम योगेंद्र सिंह की अध्यक्षता में बैठक की गई। बैठक की कार्यवाही में कुल 29 जिला पार्षद शामिल हुए। बैठक की कार्यवाही प्रारंभ करते हुए डीएम ने मतदान की संपूर्ण प्रक्रिया के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी। अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र प्रत्याशी के रूप में इस्लामपुर की पार्षद तनुजा कुमारी ने नामांकन दाखिल किया। उनका नामांकन वैध पाया गया। विरोध में कोई खड़ा नहीं हुआ, तो निर्धारित अवधि समाप्त होने के बाद डीएण ने तनुजा कुमारी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया। फिर डीएम ने उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान किया तथा पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई।
बता दें कि जिला परिषद में कुल 34 सदस्य हैं, जिनमें से एक सदस्य सुनील कुमार का कोरोना से निधन हो गया है। इस कारण वर्तमान में जिला परिषद में 33 सदस्य ही हैं। जिला परिषद अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया में प्रेक्षक के रूप में भोजपुर के डीडीसी हरि नारायण पासवान मौजूद थे।
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पूर्व अध्यक्ष पर लगाए गए थे पेड़ कटवाने समेत नौ आरोप
जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष कुमारी मीर सिन्हा पर सदस्यों ने कुल नौ आरोप लगाए थे। जिसमें कहा गया था कि उन्होंने अपनी मर्जी से जिला परिषद में लगे एक विशाल वृक्ष को कटवा दिया गया। यहीं नहीं पंचम वित्त आयोग की आई राशि के वितरण में भी मनमानी करती रहीं। सदस्यों का यह भी आरोप था कि इनके कार्यकाल में जिला परिषद की नियमित बैठक भी नहीं हो पाती है। वे अपनी मर्जी से बैठक की तिथि निर्धारित कर देती हैं और इसकी सूचना भी सभी सदस्यों को नहीं दी जाती है। इन आरोपों का बहुमत ने समर्थन किया। इस कारण मीर सिन्हा को अध्यक्ष पद से हटना पड़ा। मीर सिन्हा का कार्यकाल लगभग डेढ़ वर्ष रहा। इनके नाम कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं रहा।
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