नई तकनीक व उर्वरक के बारे में दी गई जानकारी

आरा। उर्वरक लाइसेंस से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र सभागार में किया गया। 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए केविके के हेड डॉ. प्रवीण कुमार द्विवेदी ने कहा कि यह कार्यक्रम भारत सरकार के निर्देशानुसार वैसे लोगों को प्रशिक्षित करना है जो उर्वरक संबंधित कार्य कर रहे हैं, चाहे वे कृषि या रसायन विज्ञान से स्नातक नहीं भी है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में वैसे लोगों को भी शामिल करना आवश्यक है, जो नए सिरे से अपनी दुकान खोलना चाहते हैं। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि प्रशिक्षण उपरांत सभी लोग उर्वरक एवं बीज के अलावा अन्य कृषि सामग्री के विपणन के लिए अनुज्ञप्ति पाने के लिए पूरी अहर्ता प्राप्त कर लेंगे।

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उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य सभी प्रशिक्षणार्थियों को अद्यतन तकनीकों के साथ कृषि की जो मूलभूत जानकारियां है, उससे अवगत कराते हुए सक्षम बनाना है। कृषि वैज्ञानिक शशि भूषण कुमार ने कहा कि पुराने कृषि रसायन खास करके कीट एवं रोगों की जो दवाएं हैं, वह बदल चुकी हैं या प्रतिबंधित हो गई है, उनसे संबंधित जो भारत सरकार के निर्देश हैं, उसकी जानकारी प्रशिक्षण में दिया जा रहा है। डॉ. सदानंद सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए समेकित कृषि प्रणाली एवं उसके लिए भूमि प्रबंधन एवं उर्वरक प्रबंधन पर विशेष रुप से जानकारी दी। कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार यादव ने बीजों के महत्व पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने कहा कि बीजों के बिना हमारा कोई कार्यक्रम अधूरा है। डॉ. यादव ने कहा कि बीज, खाद और भूमि का आपसी समन्वय बहुत आवश्यक है, तभी अच्छी फसल और अच्छा उत्पादन में सफलता मिल सकती है।
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