पोषक आहार से मिलेगी माता व शिशु को अच्छी सेहत

आरा। मां बनना किसी महिला के लिए खुशियों के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य से संबंधित कई जिम्मेदारियां भी लेकर आता है। कोरोना और मौसम जनित रोगों (बरसाती रोग चिकुंगुनिया, फ्लू मलेरिया आदि) से संक्रमित होने के डर से उन्हें और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। इसलिए सुरक्षित और सुखद मातृत्व के लिए गर्भावस्था के दौरान तनाव मुक्त रहना, बेहतर पोषण, सभी प्रसव पूर्व जांच और संस्थागत प्रसव बहुत जरूरी है। लेंसेट की रिपोर्ट के अनुसार गर्भावस्था के पूर्व से लेकर प्रसव के बाद तक बेहतर देखभाल करने से शिशु मृत्यु दर में 63 प्रतिशत एवं नवजात मृत्यु दर में 55 प्रतिशत की कमी हो सकती है।

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सुरक्षित मातृत्व के लिए प्रसव पूर्व जांच और संस्थागत प्रसव है जरूरी :
जिला सिविल सर्जन डॉ. ललितेश्वर प्रसाद झा ने बताया कि गर्भधारण से प्रसव काल तक का समय माता और शिशु के लिए काफी महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान प्रसव पूर्व जांच से गर्भवती के स्वास्थ्य और गर्भ में शिशु के सम्पूर्ण विकास और पोषण पर पूरा ध्यान रखा जाता है। इससे प्रसव की संभावित तिथि की जानकारी और गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर प्रसव से पहले उन समस्याओं को दूर किया जा सके। साथ ही प्रसव के दौरान गर्भवती को अत्यधिक रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसी कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ सकता है। अस्पतालों में आधुनिक उपकरणों, दवाइयों और प्रसव करवाने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की मौजूदगी से समय रहते सही उपचार संभव है। घर में प्रसव करवाते समय इन साधनों के अभाव में शिशु और माता की मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए प्रसव के दौरान जटिलता से बचने के लिए घरेलू प्रसव की जगह प्रशिक्षित चिकित्सक एवं नर्स की निगरानी में संस्थागत प्रसव करवाना जरुरी है।
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घर से बाहर कोविड प्रोटोकॉल का पालन आवश्यक :
त्योहारों का समय आ रहा है। इसलिए ़खरीदारी करने और रिश्तेदारों से मिलने के बहाने कोरोना वायरस के प्रति लापरवाही कहीं आपके और आपके शिशु के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित ना हो, इसलिए घर में हीं रहने का प्रयत्न करें । यदि घर से बाहर निकलना जरूरी है या प्रसव पूर्व जांच के लिए जा रही हैं, तो मास्क पहनना बिलकुल नहीं भूलें। प्रसव पूर्व जांच के दौरान आपस में कम से कम दो गज की दूरी जरूर बनाएं और सार्वजनिक स्थलों पर नहीं थूकें। हर जगह साबुन और पानी उपलब्ध नहीं रहता। इसलिए सैनिटाइजर हमेशा अपने पास रखें और समय-समय पर इसे इस्तेमाल कर संक्रमण से खुद को और गर्भस्थ शिशु को बचाएं । कोशिश करें की बाहर से संक्रमण घर के अंदर नहीं आ जाए। इसलिए बाहर से आने पर अपने शारीरिक स्वच्छता पर ध्यान दें।
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सही पोषण अच्छी सेहत का मूल मंत्र :
गर्भावस्था में किसी और समय की अपेक्षा अधिक पोषक भोजन की जरूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि देश में प्रत्येक दो में से एक गर्भवती महिला रक्ताल्पता की समस्या से जूझती हैं, जिसका प्रमुख कारण उनके आहार में पोषण का अभाव है। गर्भवती महिला द्वारा लिए गए आहार में सभी जरूरी पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा गर्भ में पल रहे शिशु के सेहत के लिए जरूरी होने के साथ-साथ माता के लिए भी महत्वपूर्ण है। अतएव भोजन में आयरन, कैल्सियम आदि की मात्रा बढ़ाएं। बाहर के बजाय घर का बना ताजा और गर्म खाना खाएं। दूध, भुने चने तथा पत्तेदार सब्जियां भी लें। यदि मांसाहारी हैं तो अंडा और मांस-मछली को भी भोजन में शामिल करें। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भरपूर नींद और विटामिन-सी युक्त खट्टे फल लें तथा पर्याप्त पानी पिएं।
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