विकास के आईने में समस्याओं से जूझता आरा विधानसभा क्षेत्र

आरा। आरा एक प्राचीन शहर के रुप में स्थापित है। इस शहर का अतीत चाहे जितना गौरवशाली हो, पर वर्तमान उतना ही समस्याओं से त्रस्त है। यहां सिद्धनाथ महादेव और अरण्य देवी मंदिर है। पुराणों में यह प्रमाणित है कि पहले यह शहर अरण्य था। सिद्धनाथ मंदिर के महादेव सिद्धपीठ है और आरण्य देवी का मंदिर प्राचीनतम है। धनुष यज्ञ के दौरान महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम व लक्ष्मण आए थे और देवी मां की पूजा अर्चना किए थे। मध्य काल में मुगल बादशाह बाबर जब विजय के लिए पूर्व की ओर बढ़ रहा था तो वह 1529 में 17 दिनों तक शहर के रमना मैदान में ही पड़ाव डाला था। 1857 में आरा देश का एकमात्र शहर था। जिसपर देशद्रोह का मुकदमा चला था। बाबू कुंवर सिंह ने अंग्रेजो के खिलाफ बिगुल बजाया था। आरा के हरिवंश सहाय 1882 में अपनी राजनीति की शुरुआती दौर में बंगाल लेजिस्लेटिव काउंसिल में जाने वाले पहले बिहारी थे। जिला मुख्यालय स्थित यह शहर आज समस्याओं की फेहरिस्त में फंस गया है। सबसे अहम समस्या ड्रेनेज सिस्टम की है। जिसके कारण शहर की सूरत बिगड़ गई है।

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मुद्दा: 1 --- ड्रेनेज सिस्टम ने बिगाड़ दी शहर की सूरत:
अंग्रेजो द्वारा 1939 में निर्मित ड्रेनेज सिस्टम लगभग ध्वस्त हो चुका है। घर-घर से निकलने वाला पानी आउटपास नहीं हो रहा है। थोड़ी भी बारिश हो जाती है तो पूरा शहर कई दिनों तक जलजमाव से जूझता है। गलियों और नए टोले-मुहल्ले में जलजमाव की दुर्दशा यह है कि कई माह से जलजमाव पीछा नहीं छोड़ रहा है। शहर की कई सड़कों पर भी कमोवेश यहीं दुर्दशा है। ड्रेनेज सिस्टम के जीर्णोद्धार के लिए वर्ष 1967 में ही राज्य सचिवालय के नगर विकास को प्रस्ताव गया था। वर्ष 1978 तथा 1993 में भी सुगबुगाहट तेज हुई थी। विगत तीन वर्षो के दौरान नगर निगम प्रशासन द्वारा तीन बार प्रस्ताव भेजा गया है लेकिन फंड का संकट लोगों के लिए आफत बना है।
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मुद्दा: 2 -- जर्जर सड़कों पर पैदल चलना हुआ मुश्किल:
शहर की अधिकांश सड़कें बदहाल है। सड़कों पर जगह-जगह बड़े गढ्ढें में दुघर्टनाओं का तांता लगा है। प्राय: हर दिन लोडेड वाहनों के पलटने की खबरें सूखियां बन रही है। जिला प्रशासन के सख्त निर्देश पर खतरनाक गढ्ढें वाले सड़कों पर बड़े-बड़े ईंट के टूकड़े डाल दिए गए। जिससे अब सवारी वाहनों के हिचकोले खाते वाहन दुघर्टनाग्रस्त हो रहे है। इन सड़कों पर पैदल तक चलना मुश्किल हो गया है।
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मुद्दा: 3 -- आफत बना है सड़क जाम:
संकीर्ण सड़कें, जर्जर सड़कों और बेतरतीब यातायात व्यवस्था के कारण सड़क जाम गंभीर बना है। आबादी के अनुरुप सड़कों का विस्तार नहीं हुआ। यह समस्या दिन चढ़ने से लेकर शाम ढलते तक लोगों का पीछा नहीं छोड़ रही है। सड़क के विस्तार के लिए कई बार अतिक्रमण की सफाई का अभियान चलाया गया लेकिन समस्या यथावत रहीं। सड़क पर डिवाइडर, अंडरपास, जेड सिग्नल अथवा यातायात बत्ती जैसी कोई व्यवस्था आज तक नहीं की जा सकी है। सुविधा के नाम पर सब कुछ पौराणिक शहर जैसा ही चल रहा।
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मुद्दा: 4 -- ठंडे बस्ते में पड़ा रह गया रिग रोड का प्रस्ताव: शहर को जाम से मुक्त कराने के लिए स्थानीय सांसद सह केन्द्रीय उर्जा राज्य मंत्री आर.के. सिंह की यह महत्वाकांक्षी योजना है। सांसद ने डीएम व पथ निर्माण विभाग से बातचीत कर एक प्रोजेक्ट तैयार कराकर राज्य मुख्यालय को भेजा गया था। तीन वर्ष गुजर चुका लेकिन फंड के अभाव में स्वीकृति लंबित बताई जा रही है।
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मुद्दा: 5 --- कई चुनाव में मुद्दा बनता रहा शाहाबाद प्रमंडल का सवाल:
शाहाबाद प्रमंडल का कार्यालय खोलने का मामला डेढ़ दशक से मुद्दा बनता रहा। पुराना शाहाबाद का बंटवारा चार खंडों में हो चुका है। कैमूर, रोहतास, बक्सर और भोजपुर चार जिले अस्तित्व में आ गए है। चारों जिलों के लोगों को कमिश्नरी ऑफिस जाने के लिए 60-110 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ रहा है। समय और पैसे की बर्बादी के साथ विकास के एक-एक कार्य के लिए पटना की दौर लगाना पड़ता है। कई मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक आश्वासन देते रहे लेकिन सचिवालय में तैयार फाइल आगे नहीं बढ़ पा रही है। ----
फोटो फाइल
04 आरा 12
------- कहते है व्यवसायी अशोक सिंह: शहर में पांच वर्षो में कोई बदलाव नहीं हुआ। सड़कों की हालत बदतर है। जाम व जलजमाव से त्राहि मचा है। पैदल या वाहनों तक से चलना मुश्किल है। जनप्रतिनिधि को नागरिकों की बुनियादी सुविधाओं को ले प्रतिबद्ध होनी चाहिए थी। चुनाव में सोचेंगे।
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फोटो फाइल
04 आरा 13
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बोलते है वरीय अधिवक्ता विश्वनाथ प्रसाद गुप्ता: घर से कोर्ट तक आवागमन में सहमना पड़ रहा है। जर्जर सड़क पर दुघर्टना की आशंका बनी रहती है। जलजमाव व सड़क जाम से मुसीबत कम नहीं हो रही है। पुराने शहर का कायाकल्प नहीं किया गया। आबादी बढ़ी और नगरपालिका से नगर निगम बन गया लेकिन नागरिक सुविधाओं के लिए किसी ने ईमानदारी से काम नहीं किया।
------ फोटो फाइल
09 आरा 14
------------ बताता है छात्र अनूप सिंह: आरा शहर की हालत बदतर है। जाम और संकीर्ण सड़कों की चर्चा हर चुनाव में मुद्दा बनती है लेकिन कभी कारगर कार्रवाई नहीं होती। गंदगी व कूड़ा कचरों से सड़कें पटी रहती है। बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। हमें इस बार मतदान में सोचकर वोट देना है कि जिस विकास का मुद्दा हर बार उठाया जाता है। उससे निपटने की योजना किसके पास है।
कहती है कथक नृत्यांगना खुशबू स्पृहा: हमारे शहर समस्याओं का घर बना हुआ है। सड़क के खतरनाक गढ्ढों से आवागमन में मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। जिस पानी को बचाने के लिए देश में जागरुकता चल रही है। वहां कितने लीटर पानी लापरवाही की वजह से बर्बाद हो रही है। आपराधिक घटनाएं कुछ अधिक बढ़ गई है। मतदान के वक्त यह देखूंगी कि हम जिसे वोट दे रहे हैं। वह वास्तव में कितना जिम्मेदार है और विकास के प्रति उनकी सोच क्या है।
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आरा विधानसभा
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पुरुष मतदाता: 177290
महिला मतदाता: 149192
अन्य : 6
कुल मतदाता: 326488
लिग अनुपात: 841
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