सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य है जरुरी :डॉ. राजेश कुमार भारती

जागरण संवाददाता,पूर्णिया:

पूर्णिया। प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद शारीरिक स्वास्थ्य के साथ लोगों के मानसिक सेहत की भी चिता करना है। सामान्यत: मानसिक सेहत को लोग नजरंदाज करते हैं जबतक यह बड़ी समस्या नहीं बन जाए। डॉ. राजेश कुमार भारती मनोचिकित्सक हैं। उन्होंने बताया कि आज के समय में खासकर कोरोना महामारी के उत्पन्न परिस्थिति में न्यू नॉर्मल के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि पहले से मानसिक सेहत एक समस्या के रूप में चिह्नित हो चुकी है लेकिन अब यह और अधिक विकट बन चुकी है। मानसिक बीमारी में अवसाद प्रमुख है जिस कारण से लोग आत्महत्या तक कर रहे हैं। जिले में भी न्यू नॉर्मल अवस्था को हैंडल करने के लिए दो स्तरीय कार्यक्रम का संचालन हो रहा है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य के अंतर्गत सदर अस्पताल स्थित मानसिक विभाग पंचायत स्तर पर शिविर लगा रही है और दूरभाष पर भी लोगों की काउंसलिग कर रही है। इस वर्ष मानसिक दिवस का थीम है सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य की तर्ज पर एक-एक लोगों के संपर्क की कोशिश करना। इसके लिए आशा कार्यकर्ता की मदद ली जा रही है और जन प्रतिनिधि की मदद से ऐसे लोगों को चिह्नित कर काउंसलिग होती है। फोन पर चिकित्सक ओपीडी के समय में उपलब्ध रहते हैं। अगर कोई फोन पर भी सलाह लेना चाहता है ले सकता है। इसके लिए पंचायत वार शिविर का भी आयोजन किया जा रहा है। मानसिक विभाग के चिकित्सक और सोशल वर्कर सेशन में उपलब्ध रहेंगे और लोगों की काउंसिलिग करेंगे। इसके लिए दूरभाष नंबर भी जारी किया जाएगा। इसमें मानसिक संबंधित किसी भी परेशानी के लिए किसी भी वक्त लोग फोन कर सलाह ले सकते हैं। सदर अस्पताल मानसिक विभाग के चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार भारती का कहना है कि दरअसल इस तरह प्रखंड स्तर पर क्वरेंटीन सेंटर में पहले भी विभाग की टीम जा रही है और लोगों की काउंसिलिग कर रही है। कोरोना काल में मानसिक संतुलन बनाना भी एक चुनौती है। मानसिक समस्या एक ऐसी समस्या है जिस पर अधिक फोकस नहीं रहता है। लॉकडाउन के दौरान घरों में रहना पड़ा। उसके बाद जीवन में कई स्तर पर बदलाव हुआ तो उनकी मानसिक परेशानी बढ़ गई है। कोरोना के कारण जीवन में एक तरह का बंधन भी है मसलन हाथ की सफाई, भय, मास्क पहनना आदि कारणों से भी लोगों को व्यवहारगत परेशानी हो रही है। इस कारण कई लोग निराशा और भय को अपने ऊपर हावी होने देते हैं। कई लोगों अपना सबकुछ खोकर वापस अपने घर लौटे हैं। ऐसे में उनकी मानसिक अवस्था को संभालना भी उतना ही आवश्यक है।
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