नालंदा विवि की खोई गरिमा तो बदल गए विकास के मायने

बिहारशरीफ। एक बार फिर नालंदा विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है। पांचवीं से 13वीं शताब्दी तक नालंदा की गरिमा विश्वस्तरीय शिक्षण व्यवस्था और समृद्ध पुस्कालय के लिए थी। यहां नालंदा विवि स्थापित था, जहां देश-विदेश के हजारों छात्र उच्च शिक्षा के लिए आते थे। विद्वान आचार्यों का पूरा समूह था। सहकारिता के जरिए विश्वविद्यालय का खर्च वहन किया जाता था। नालंदा के दो सौ गांवों का राजस्व विवि संचालन का आधार था। विदेशी आक्रांता बख्तियार खिलजी के हमले में विवि बर्बाद हो गया। उसने भारत की संस्कृति व ज्ञान को नष्ट करने के इरादे से विवि के पुस्कालय में आग लगा दी थी। कहते हैं, पुस्तकालय में इतनी पुस्तकें थीं कि कई माह तक धुआं उठता रहा।

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आज सूबे 21वीं सदी में पहुंच चुका है। नालंदा में कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम जारी है। प्राचीन नालंदा विवि को पुनर्जीवित करने के इरादे से राजगीर के बड़े भू-भाग में अंतर्राष्ट्रीय विवि का निर्माण कराया जा रहा है। इतना सब होने के बावजूद नालंदा के बाशिदों में अपने इतिहास के प्रति गौरव का बोध नहीं हो सका है। मानसिक चेतना का विकास नहीं हो सका। यही वजह है कि आधुनिक वैज्ञानिक युग में नालंदा के लोगों के मन में विकास के मायने बदल गए हैं। कभी किसी चुनाव में नालंदा में विश्वस्तरीय संग्रहालय या पुस्तकालय की जरूरत मुद्दा नहीं बनी। गांव-गांव में पुस्तकालय या वाचनालय की मांग लोगों ने भी नहीं की। जिले में पुरातात्विक महत्व के सैकड़ों स्थल हैं। इनके खनन व शोध के लिए पटना व दिल्ली का मुंह देखना पड़ता है। सालों पहले प्रबुद्ध लोगों ने नालंदा में पुरातत्व विभाग का रिजनल कार्यालय खोलने की मांग उठाई थी। परंतु यह आमजन का मुद्दा नहीं बन सका। इस कारण जनप्रतिनिधियों ने भी ध्यान नहीं दिया। आज सड़क, शुद्ध पेयजल, घर-घर शौचालय, बिजली सरीखी मूलभूत सुविधाओं को विकास का पैमाना मान लिया गया है। जबकि नालंदा का शाब्दिक अर्थ ही, अनंत दान देने वाला है। हमें सोचना होगा कि नालंदा की गरिमा व गौरवशाली इतिहास के अनुकूल चुनाव में क्या मुद्दे उठाए जाएं, जिससे आज के विश्व का गुरू बनने की राह पर चल पड़े। दैनिक जागरण जल्द ही जनता का मुद्दा प्रकाशित करने जा रहा है। सुधि पाठकों की राय 6207144405 पर आमंत्रित की जाती है। इस पर व्हाट्सऐप के जरिए संदेश भेजें, ताकि जन हित व जन के मन के मुद्दे प्रत्याशियों के समक्ष मजबूती से उठाए जा सकें।
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