पाला बदल : यहां बागियों से अधिक खतरा, लेकिन बेफिक्र है दलीय प्रत्याशी

बक्सर : डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में एनडीए और महागठबंधन दोनों घटक दलों के बागियों से खतरा अधिक होते हुए भी कोई किसी को मनाने की कोशिश नहीं करता। यही नहीं दलीय और निर्दलीय उम्मीदवारों के तानातानी के बाद आम मतदाता भी इस बार बिल्कुल शांत हैं। मतदान किसे करना है और इस बार किसकी सरकार बनेगी इस चक्कर में लोग नहीं पड़ना चाहते है।

अगर कोई सवाल भी करता है कि काका एह बार केकरा के दियाई..' तो जबाब मिलता है आपन मत ह, जेकरा के मन करी दे दिहल जाई..।' डुमरांव विधानसभा में फिलहाल सभी दलों के बागी अपना दम-खम दिखाने को आतुर हैं, लेकिन चुनाव के ऐन वक्त पर टिकट लेकर मैदान में उतरे प्रत्याशी बेफिक्र है।
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निर्दलीय प्रत्याशी बिगाड़ सकते है गणित
डुमरांव विधानसभा में बागियों द्वारा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चे दाखिल किए गए है। इसके कारण प्रत्याशियों के चुनावी गणित बिगड़ते नजर आ रहे है। यहां जातीय समीकरण भी गड़बड़ा सकता है। क्योंकि यहां एक ही जाति के कई लोग चुनाव मैदान में है। पहले प्रत्याशियों द्वारा ऐसे उम्मीदवारों को नामांकन नहीं करने के लिए दबाव भी बनाए जाने की सूचना मिली। लेकिन लड़ेंगे नहीं तो जीतेंगे कैसे की तर्ज पर लोग चुनावी मैदान में उतर गए है।
बागियों पर विरोधियों की नजर

उधर पार्टियों के बागियों पर विरोधी प्रत्याशियों की नजर भी लगी हुई है। प्रत्याशी बागियों से संपर्क कर पार्टी को सबक सिखाने की बात कर रहे हैं। बागियों से गोपनीय बैठक कर चुनावी रणनीति बनाई जा रही है। बागियों के प्रभाव को भी आंका जा रहा है कि कौन कितने वोट कबाड़ सकता है। कम नुकसान करने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों से सिबल पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी बात भी करना मुनासिब नहीं समझ रहे है।
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