एक बार हारने के बाद दुबारा चुनाव नहीं लड़ते निर्दलीय प्रत्याशी

जागरण संवाददाता, सासाराम : सासाराम विधानसभा चुनाव में पिछले 20 सालों में कई निर्दलीय प्रत्याशियों ने बड़ी पार्टियों के दिग्गज नेताओं के साथ राजनीति का दंगल खेला। लेकिन मतगड़ना में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। चुनाव आते ही राजनितिक पार्टियों से टिकट ना मिलने के बावजूद भी कई लोग क्षेत्र के बेरोजगारों को नौकरी देने के वादे के साथ तो कोई ब्यवस्था सुधार के नाम पर निर्दलीय चुनाव लड़ जाते हैं।सासाराम विधानसभा क्षेत्र से हर बार नए निर्दलीय प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में उतरे।जो प्रत्याशी एक बार निर्दलीय चुनाव लड़ा वो दुबारा फिर अगली बार चुनाव मैदान में नजर नहीं आया।


इस बार के चुनाव में कुल 8 प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में हैं।इनमें से दो महिला प्रत्याशी भी हैं। 2015 में सात निर्दलीय प्रत्याशी थे।2010 में पंद्रह प्रत्याशी ,2005 में पांच प्रत्याशी तथा साल 2000 में तीन प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में थे। साल 2000 से लेकर अभी तक इनमें से किसी भी प्रत्याशी ने दोबारा चुनाव नहीं लड़ा।अबतक के आंकड़ों के मुताबिक एक या दो प्रत्याशियों को छोड़कर बाकी सभी निर्दलीय अपना जमानत भी जब्त करा चुके हैं।
बात करें अगर महिला प्रत्याशियों की तो इन्होने भी निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमायी है। इस बार के विधानसभा चुनाव में दो महिला प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में निर्दलीय के रूप में ताल ठोक रही हैं।वर्ष 1972 से लेकर अबतक के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2010 में ज्योति रश्मि भी निर्दलीय चुनाव मैदान में थीं।साल 1990 में रामदुलारी देवी और अजीजा जुबेरी दो महिला प्रत्यासी निर्दलीय चुनाव लड़ी थीं। साल 1985 में कलावती देवी निर्दलीय महिला प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थीं।इन सभी प्रत्याशियों में से भी कोई एक बार के बाद दुबारा चुनाव नहीं लड़ा।
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