कोरोना पॉजिटिव मतलब जिदगी खत्म नहीं

शिवहर। कोरोना पॉजिटिव हैं तो भी हमेशा पॉजिटिव सोच रखें, क्योंकि पॉजिटिव सोच ही कोरोना संक्रमण से उबरने में मददगार साबित हो सकती है। पॉजिटिव मतलब जिदगी खत्म नहीं है। आपके साथियों और परिवार को हौसला भी दवा का काम करता है। इसलिए कोरोना को हराना है तो पॉजिटिव सोच के साथ लड़ना होगा। कोरोना का संक्रमण हौसलों को पस्त नहीं कर सकता।यह कहना है 51 वर्षीय एनएम नर्सिंग स्टाफ पूनम कुमारी का, जो इस उम्र में भी अपने हौसले के दम पर कोरोना संक्रमण को मात देकर वापस मरीजों की सेवा में जुट गईं हैं।

तरियानी पीएचसी में कार्यरत एनएम पूनम कुमारी ग्रामीण क्षेत्र में उपचार करते समय कोरोना संक्रमित हो गई थी। वह 5 अक्टूबर को कोरोना से ठीक होकर अपने फर्ज को निभाने के लिए काम पर लौट आईं हैं। कोरोना से ठीक होने के बाद जब वापस काम पर लौटी तो उनके हौसले को सभी ने सलाम किया।
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कोरोना संक्रमण से उबर चुकी एएनएम पूनम कुमारी ने बताया कि पीएचसी में और आंगनबाड़ी केंद्रों पर काम के दौरान कब कोरोना की चपेट में आ गईं, पता ही नहीं चला। उन्होंने बताया कि 17 सितम्बर को मेरी जांच हुई और 21 को यह रिपोर्ट पॉजिटिव मिली। पॉजिटिव होने के बाद यही लगा कि अब शायद कभी घर नहीं पहुंच पाऊंगी। एकदम डर गई थी। नकारात्मक सोच ने चारों तरफ से घेर लिया था। इसके बाद होम आइसोलेशन में चली गईं, वह पूरा दिन उदासी से गुजरा। लेकिन
उन्होंने कोरोना को मात दी।
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