कसबा विधानसभा क्षेत्र में महिला मतदाता चुनाव में पुरुषों पर रहती हैं भारी

पूर्णिया। कसबा विधानसभा पूर्णिया जिले के सात विधानसभाओं में से एक है। इस विधानसभा में सात फीसद जनसंख्या शहरी है। 93 फीसद ग्रामीण जनसंख्या है। शहर के करीब होने के कारण इलाके के अधिकांश लोग रोज शहर काम काज के लिए आते हैं और वापस

चले जाते हैं। यह काफी संपन्न और शिक्षित क्षेत्र में से हैं। कृषि कार्य की मुख्य जीविका के साधन होने के साथ ही व्यवसाय से भी बड़ी आबादी जुड़ी हुई है। एक और खास बात यह है कि यहां महिला मतदाता चुनाव में पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान करती है। उनका मतप्रतिशत अधिक रहता है। पिछले लोक सभा चुनाव में भी सभी विधानसभी तुलना में सबसे अधिक महिलाओं ने मतदान किया था। महिलाओं ने जहां 72.74 फीसद मतदान किया था जो पुरुष की तुलना में छह फीसद अधिक था। यहां महिलाएं बढ़चढ़ कर चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेती हैं। अधिकांश पुरुष कामकाज के लिए बाहर रहने के कारण भी महिलाओं का मत प्रतिशत अधिक रहता है। 2015 में कांग्रेस पार्टी से मो. अफाक आलम तीसरी बार चुनाव जीतने में सफल रहे थे। 2 लाख 83, 362 कुल मतदाता हैं इसमें पुरुष 1 लाख 46 हजार 837 जबकि महिला मतदाता 1 लाख 36 हजार 512 हैं। 13 ट्रांसजेंडर मतदाता भी है। एससी वोटर 13.56 और एसटी 5.44 फीसद है। पिछले चुनाव में यहां पर 69 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकारी का उपयोग किया था। विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण के हिसाब से 43 फीसद मतदाता मुस्लिम और 55 फीसद हिन्दू मतदाता हैं। इसमें कुशवाहा 20 फीसद, दलित आदिवासी 30 फीसद, सवर्ण दो से पांच फीसद, वैश्य 2 से पांच फीसद हैं।
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हाल के चुनावों में यहां पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर होती रही है। पिछले बार तक यह सीट भाजपा के खाते में रहती थी और उनके प्रदीप दास मैदान रहते थे। 1995 से 2015 तक भाजपा के प्रदीप दास विधायक रहे हैं। 1995 में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विधायक शिवचरण मेहता को हराकर भाजपा का खाता खोलने में सफल रहे थे। मो. अफाक आलम वर्तमान में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस बार यह सीट एनडीए के उम्मीदवार के तौर हम पार्टी राजेंद्र यादव चुनाव मैदान में है। कांग्रेस के मो. अफाक आलम 2015, 2010 विधायक बन चुके हैं। पिछले कई चुनाव से इस सीट से भाजपा चुनाव लडती रही थी लेकिन इस गठबंधन में जीतन राम मांझी की पार्टी हम के खाते में गई है। अबतक यहां पर सीधा मुकाबला ही दिख रहा है लेकिन असंतुष्ट के मैदान में आते ही मामला बहुकोणीय होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
वर्ष - विजेता - हारे 1967 - आरएन मंडल( कांग्रेस) - एच मुखर्जी ( बिजेएस)
1969 - आरएन मंडल( कांग्रेस) - गिरजानंद चौधरी( बिजेएस) 1972 - आरएन मंडल ( कांग्रेस) - खलिलूर रहमान ( एसओपी) 1977 - जय नारायण मेहता (कांग्रेस) - भुवनेश्वर आर्या (जेएनपी)
1980 - मो. यासिन - ( कांग्रेस) - शिव चरण मेहता ( जेएनपी)
1985 - सैयद गुलाम -( कांग्रेस) - शिव चरण मेहता ( एलकेडी) 1990 - शिव चरण मेहता ( कांग्रेस) मो. यासिन ( कांग्रेस) 1995 - प्रदीप कुमार दास ( भाजपा) शिव चरण मेहता ( जेडी) 2000 - प्रदीप कुमार दास ( भाजपा) मो. अफाक आलम ( कांग्रेस) 2005 - मो. अफाक आलम ( कांग्रेस) प्रदीप कुमार दास ( भाजपा) 2005 - प्रदीप कुमार दास ( भाजपा) मो. अफाक आलम ( आरजेडी) 2010 - मो. अफाक आलम ( कांग्रेस) प्रदीप कुमार दास ( भाजपा) 2015 - मो. अफाक आलम ( कांग्रेस) प्रदीप कुमार दास ( भाजपा)

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