बोझ बनी जमीन, बगैर उपज लगान

शिवहर। जिले के किसानों को बगैर उपज लगान देनी पड़ रही है। बागमती की तबाही के कारण किसानों के खेत नदी में विलीन हो चुके हैं। बहुत से खेत रेत में तब्दील हो गए हैं। ऐसे में इस जमीन का कोई मोल नहीं रह गया है। वजह इस पर कोई उपज नहीं होती है।

नेपाल से निकलकर बागमती सीतामढ़ी से होते हुए शिवहर में प्रवेश करती है। जिले में नदी लगभग 25 किलोमीटर बहती है। वह किनारे बसे गांवों की ओर लगातार कटान कर रही है। इसके किनारे बसे धर्मपुर, मोहारी, पिपराही, कोठिया पकड़ी, रतनपुर व तरियानी समेत दर्जनों गावों की 40 हजार हेक्टेयर से अधिक खेती योग्य जमीन बर्बाद हो गई है। इससे पाच हजार से अधिक किसानों की रोजी-रोटी पर संकट है।

नहीं मिला मुआवजा : धर्मपुर के किसान बच्चन गिरि की 40 एकड़ जमीन बागमती की भेंट चढ़ गई है। पारसनाथ भारती की 30 एकड़, राजेंद्र प्रसाद यादव की 30 एकड़, पिपराही डुब्बा के रवींद्र कुमार की 25 एकड़, राजदेव प्रसाद की 70 और मोहारी के किसान जगदीश प्रसाद की 100 एकड़ से अधिक जमीन बागमती निगल चुकी है।
इन किसानों का कहना है कि अधिकतर जमीन नदी में मिल चुकी है। जो बचा है, उस पर रेत ही रेत है। उस पर फसल कैसे होगी, समझा जा सकता है। इसके बाद भी उस जमीन पर लगान देने की मजबूरी है। मुआवजा भी नहीं मिल सका है। परसौनी बैज पंचायत के मुखिया पिंकू सहनी बताते हैं कि 50 साल से यह परेशानी बरकरार है। अधिकारियों को आवेदन देकर लोग थक चुके हैं। कोई पहल नहीं हुई। अब फिर से प्रयास किया जाएगा।
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