आखिर ये बेरोजगार मजदूर अपना पेट देखेंगे की वोट

पूर्णिया। पेट की आग बुझाने के लिए लोग लोकतंत्र के महापर्व तक को भूल जाते हैं। उनके लिए वोट की ताकत से कहीं ज्यादा पेट का महत्व है। लोकतंत्र के लिए इससे बड़ी त्रासदी और क्या हो सकती है।

आगामी सात नवंबर को यहां मतदान होना है। गांव- गांव का राजनीतिक तापमान परवान पर है। पर किसके लिए ऐसे सवाल क्षेत्र के उन तमाम मजदूरों का है जो रोजगार की तलाश में दिल्ली, पंजाब और हरियाणा की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। बनमनखी अनुमंडल क्षेत्र के कमोवेश सभी गांवों से मजदूरों का दल निकल रहा है।
विभिन्न क्षेत्रों के ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश मजदूर तो बहुत पहले ही यहां से जा चुके हैं। बताया गया कि दूसरे प्रदेश से मजदूरों को ले जाने के लिए कई बार बसें आई ,जिसपर लोग पंजाब व हरियाणा चले गए। अब भी गांवों में बाहर की बसें आकर लगती हैं,जिससे इलाके के मजदूरों को ढोया जा रहा है। रामनगर फरसाही, चांदपुर भंगहा, मिरचाईबाडी, गंगापुर , रामपुर तिलक, लादूगढ सहित कई अन्य गांवों के मजदूरों का पलायन रोजगार के लिए हो चुका है।

परलत टोला गंगापुर के मनोज कुमार, विनोद साह कहते हैं कि निबंधित मजदूर होने के बाद भी किसानों को मजदूरों का अभाव खटकता है। सहुरिया सुभाय मिलिक ,रूपौली उत्तर ,रूपौली दक्षिण , नौलखी ,बोडारही के मजदूरों एवं ग्रामीणों का कहना है कि बनमनखी प्रखंड में मनरेगा को मशीन का ग्रहण लग गया है। एक ओर काम नहीं मिल पाने के कारण लगातार मजदूरों का पलायन हो रहा है। तो दूसरी ओर मजदूरों का आरोप है कि मनरेगा के काम में मशीन का उपयोग धड़ल्ले से किया गया है। ग्रामीण विकास विभाग के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड रही है। इसे देखने-सुनने वाला कोई नहीं। वहीं प्रधानसचिव के आदेश को अमलीजामा पहनाने में प्रखंड स्तर के पदाधिकारी भी उदासीन दिख रहे हैं।
मजदूरों की व्यथा : वेलाचांद मोहनिया, रामनगर फरसाही मिलिक के जीबछपुर, रूपौली वेलतरी, शिलानाथ रूपौली , छर्रापट्टी, नारायणपुर, गंगापुर ,मधुबन,अभयरामचकला के विनोबाग्राम,ईटहरी ,कामत टोला सहित कई अन्य गांवों के मजदूरों का कहना है कि अपने यहां सैकड़ों मजदूरों के पास जाबकार्ड है, फिर भी यहां रोजगार नहीं मिल रहा है। रमजानी के चंदन मंडल, संजय कुमार मंडल,प्रमोद कुमार व अन्य ने बताया कि गांव में रोजगार नहीं मिल रहा है तो यहां रहकर क्या करेंगे। दो तीन दिन दिन में हमलोग भी दिल्ली चले जाएंगे। जाहिर है कि ये लोग आगामी विधानसभा चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे।
विजय कुमार मंडल , शैलेन्द्र यादव, शिवपूजन तिवारी , रंजीत कुमार दास, सत्य नारायण यादव, जीतन शर्मा ,भागवत साह , राजकुमार मंडल , उपेन्द्र मंडल सहित आसपास के दर्जनों लोगों ने बताया कि चुनाव और नेताओं की बात उनके लिए चुभन समान है। आखिर ये मजदूर अपना पेट देखेंगे कि वोट। इन मजदूरों के पीछे भी इनका परिवार है।
वहीं कुछ मजदूरों ने कहा कि परदेश जाने के बाद महीना दो महीना कमाएंगे तो साल भर का अनाज मिलेगा बाल-बच्चा खाएगा। नेता हमलोगों को खाना नहीं देगा।
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