अभी भर रही हौसलों की उड़ान, कभी सुनने पड़ते थे ताने

समस्तीपुर। बिहार का फुटबॉल टैलेंट इन दिनों शहर नहीं बल्कि ग्रामीण इलाके में तैयार हो रहा है। यहां कोई खेल अकादमी की सुविधा नहीं है फिर भी अपने जोश और कुछ कर गुजरने का जुनून ने सफलता की नई कहानी को लिखने को बेताबी है। इसकी बानगी इन दिनों मिर्जापुर हाईस्कूल के मैदान में देखने को मिल रही है। दर्जनों महिला फुटबॉल खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने को लेकर बेताब दिख रही है। इसे सार्थक रूप दिया है बिहार महिला फुटबॉल टीम की खिलाड़ी साधना ने। बचपन से ही फुटबॉल की दिवानी साधना ने राज्य फुटबॉल टीम में अपनी जगह बना कर मानी । विद्यापतिनगर प्रखंड के सूदूरवर्ती मिर्जापुर गांव निवासी गरीबी की मार झेल रहे रामनरेश सिंह व शीला देवी की पुत्री साधना गांव में सुविधा नहीं होने के बावजूद फुटबॉल के प्रति अपने जुनून में कोई कमी नहीं आने दी। वह गांव से चलकर फुटबॉल खेलने जब लडकों के साथ आती थी तो लोग ताने मारने से भी बाज नहीं आते थे। बचपन से ही पढ़ाई में भी मेधावी रही साधना ने खेल के मैदान में अपनी करिश्माई जौहर से न केवल गांव बल्कि जिला और राज्य के लोगों को भी अपने में छिपी प्रतिभा का अहसास कराया। अब निर्वाचन आयोग ने जिले का स्वीप आइकॉन बना साधना के कैरियर में एक खुशनुमा पल भर दिया है। पढाई के साथ ही साधना नियमित तौर पर अभ्यास करती है। अपनी अदम्य साहस, समर्पण व खेल में बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत बिहार महिला सीनियर फुटबॉल टीम में जगह बनाने कामयाबी हासिल की है। हैदराबाद में आयोजित राष्ट्रीय सीनियर महिला फुटबॉल चैंपियनशिप में बिहार टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी साधना पहले भी बिहार अंडर -19 महिला फुटबॉल टीम में चयनित हो अपने बेहतरीन प्रदर्शन से जिले का भी नाम रौशन कर चुकी है। बहरहाल गरीबी को झेल कर फुटबॉल के फलक पर छाने को बेताब साधना निरंतर प्रयासरत है।


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