सिमरन और राज की फिल्म 'डीडीएलजे' की आज 25वीं वर्षगांठ, जानिए क्या है सी फिल्म की ख़ास बात, जिसे लोग बार बार देखना पसंद करते है?

मुझे एहसास हुआ कि लगभग हम सभी के दिल के कोने में कहीं न-कहीं एक सिमरन मौजूद है, जिसे हम जानते हैं। बहुत से लोग हर काम को सही ढंग से पूरा नहीं कर पाते हैं, लेकिन उनके मन में ऐसा करने की इच्छा जरूर होती है। आप उस एहसास को महसूस करना चाहते हैं, जिसे आपके दिल ने माना है। आदित्य मुझसे 'मेकिंग' को डायरेक्ट करने की पूरी जिम्मेदारी लेने को कहा। कैलिफोर्निया के फिल्म स्कूल से वापस आने के बाद, मैंने फिल्म मेकिंग के एक अन्य पहलू पर अपना हाथ आजमाने का फैसला किया। इसके लिए सबसे पहले हमें सेट के बहुत सारे फुटेज की जरूरत थी और उन दिनों S-VHS के जरिए इस काम को पूरा करना ही एकमात्र कारगर विकल्प था।

'सिमरन' ने बड़े परदे पर महिलाओं की भूमिका को नई पहचान दिलाई। सिमरन अपनी परंपराओं को मानती थी, लेकिन उसका नजरिया काफी मॉडर्न था और इसी वजह से लोगों ने इस किरदार को काफी पसंद किया। शुरू में मुझे लगा था कि सिमरन थोड़ी बोरिंग है, लेकिन मैंने उसकी खूबियों को पहचान लिया।
इस फिल्म के कॉस्ट्यूम रियल होने के बावजूद किसी सुंदर सपने की तरह और काफी इंस्पिरेशनल थे किसी भी फिल्म के लिए स्क्रिप्ट उसका सबसे अहम हिस्सा होता है।
यह फिल्म और इसके सभी किरदार बिल्कुल रिफ्रेशिंग थे, इसलिए मेरे पास कुछ नया और अनोखा करने का एक सुनहरा मौका था। आपको दिल से पता होता है कि आप दुनिया में कुछ अच्छा कर रहे हैं। जी हां, ऐसी ही है हमारी सिमरन। हमने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि हम ऐसा कुछ बनाने जा रहे हैं जिसका इतना शानदार इम्पैक्ट होगा।
भारतीय सीने इतिहास की यह पहली ऐसी फिल्म थी, जिसने अपनी मेकिंग को भी प्रोड्यूस किया था। तकनीकी तौर पर तब से उसे 'बिहाइंड द सीन' के नाम से जानते हैं।

अन्य समाचार