बनमनखी में हाशिए पर रही हैं महिला राजनीति

संस,जानकीनगर (पूर्णिया) :

पूर्णिया। देश की राजनीति में आधी आबादी को संसद व विधानसभाओं में एक तिहाई सीटों पर आरक्षण देने का मामला भले ही हमेशा से गरमाया रहा हो ,पर बनमनखी के सियासी अखाड़े में महिलाओं की भागीदारी हमेंशा ठंढे बस्ते में सिसकती रही है। यदा कदा अपने तेवर और पुरूषार्थ के बूते जिले की सियासत में महिला नेत्रियों ने दम-खम जरूर दिखाया है। बनमनखी विधानसभा के राजनीतिक क्षितिज से महिलाएं हमेशा ओझल रहीं हैं। आजादी के बाद से अब-तक यहां जितने भी विधानसभा के चुनाव हुए , हर बार पुरुषों को ही विधायकी मिली। अब-तक यहां एक बार भी महिला को विधायकी नहीं मिली है। अभी चुनाव का माहौल चल रहा है। चुनावी चौपालों पर अक्सर महिला राजनीति व महिला सुरक्षा को लेकर चर्चाएं चलती रहती हैं। रूपौली दक्षिण पंचायत के वार्ड 03 स्थित रमजानी गांव में एक चौपाल पर बैठे कुछ ग्रामीण कुछ इसी तरह की चर्चाएं करते नजर आए। वहां लोग महिलाओं के रोजगार, बेटियों की शिक्षा ,शेल्टर कांड मुजफ्फरपुर , आंगनबाड़ी सेविकाओं व सहायिकाओं तथा महिला सुरक्षा पर सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर नकारात्मक बहस छिड़ी हुई थी। बात होते होते- चुनाव पर आकर टिक गई और खासकर बनमनखी विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पर काफी लंबी बहस छिड़ गई। एक कह रहा था हर बार यहां पुरूषों की ही भागीदारी रही , महिलाओं की क्यों नहीं। दूसरा बोला कि आखिर महिलाएं पुरुषों से किस मायने में कम है। इसी विषय के इर्द-गिर्द बहस गरमाया रहा। लोगों का कहना है? कि इससे तो यही लगता है। कि बनमनखी में सभी दलों ने आधी आबादी को टिकट देने में जमकर कंजूसी की है। जानकारी दी गई कि यहां से महिला विधायक की जीत का खाता तक नहीं? खुला है। दर असल जब कोई राजनीतिक दल वाले किसी महिला को प्रत्याशी बनाएंगे और वह चुनावी जंग में आएगी ,तभी तो कुछ हो सकता है। जब यहां से महिलाओं को प्रतिनिधित्व ही नहीं। मिला तो फिर कहना ही क्या है।

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