..तो अब चाहिए रोजगार देने वाली सरकार

बिहारशरीफ। बुधवार को जागरण टीम अस्थावां विधानसभा क्षेत्र के सारे गांव पहुंची। यहां ग्रामीणों की चौपाल लगाकर चुनावी माहौल को भांपने की कोशिश की गई। लोगों ने खुलकर अपनी बात रखी। कहा, गांव-गांव में बहुत काम हुआ है। सड़क, पानी, बिजली व घर-घर शौचालय बनने से जीवनस्तर सुधरा है। गांव के सामने से गुजरी शेखपुरा-बरबीघा व बिहारशरीफ को जोड़ने वाली सड़क चकाचक है। इससे कहीं आने-जाने का समय घट गया है। गांव में ही प्राथमिक से लेकर प्लस टू स्तर के विद्यालय हैं। परंतु पढ़ाई-लिखाई की व्यस्था ठीक नहीं है। शिक्षण की गुणवत्ता सुधारने की जरूरत है। सिर्फ मध्याह्न भोजन, साइकिल व पोशाक देने से काम नहीं चलेगा। शिक्षकों की कमी है। इतिहास के शिक्षक विज्ञान पढ़ा रहे हैं। बेहतर पढ़ाई के लिए प्राइवेट स्कूल जाना पड़ता है। सरकारी शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा कई अन्य कार्य करवाए जाते हैं। पास में आर लाल कॉलेज है। परंतु वहां न तो नियमित क्लास होती है और न ही सेशन नियमित है। ग्रेजुएशन की पढ़ाई कहने को तीन साल की है। यहां से डिग्री पांच साल में मिल पाती है। व्यवसायिक व तकनीकी शिक्षा के लिए राज्य के बाहर जाना पड़ता है। ग्रेजुएशन के बाद न नौकरी मिलती है और न ही रोजगार के अन्य विकल्प सुझाने व कराने वाला कोई है। पेश है, चौपाल में आए कुछ लोगों से बातचीत के अंश।


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नई शिक्षा नीति पर जल्द अमल कराने वाले प्रत्याशी को देंगे पहला वोट
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चुनावी चौपाल में अभिषेक कुमार, सुमित कुमार, अविनाश कुमार व अभिषेक कुमार ने कहा कि वह तीन नवंबर को पहली बार मतदान करेंगे। मतदान करने को लेकर काफी उत्साहित हैं। कहा, केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति छात्रों के लिए हितकर है। इसे बिहार में भी अक्षरश: लागू किया जाना चाहिए। अनुत्पादक पढ़ाई से वे लोग ऊब गए हैं। भविष्य अनिश्चित दिख रहा है। इसलिए जिस क्षेत्र व विषय में रुचि हो, उसकी पढ़ाई करने की आजादी मिले। शिक्षा रोजगारपरक हो। कहा, कि हम ऐसे प्रत्याशी को वोट करेंगे, जो विधानसभा में नई शिक्षा नीति का समर्थन करे और उसे जल्द से जल्द अमल में लाने का प्रयास करे। सरकारी नौकरियों में जेनरल कोटा बढ़वाए। युवा वोटरों ने कहा कि उन्हें नोटा पर यकीन नहीं है। किसी न किसी प्रत्याशी के पक्ष में ही मतदान करेंगे। चुनाव में खूब उछल रहे 15 साल बनाम 15 साल के मुद्दे पर युवाओं ने कहा कि उन्हें भूतकाल से मतलब नहीं, न ही उस दौर को देखा है, उन्हें सिर्फ भविष्य की चिता है।
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महिलाएं बोलीं: हर जगह बिक रही शराब, काफूर हो गई खुशी
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सारे गांव की महिलाएं चिनिया देवी व रुक्मिणि देवी ने कहा कि तमाम दलों को प्रत्याशी चयन में सतर्कता बरतनी चाहिए। जब शराबबंदी हुई थी तो बहुत खुशी हुई थी। लगा था कि अब घर-घर में रुपए की बर्बादी रुकेगी। कोई शराब पीकर खुलेआम हंगामा नहीं करेगा। कुछ दिन ठीक रहा। परंतु अब हर जगह शराब बिक रही है। लोग आज भी पी रहे हैं। उल्टे चोरी-छिपे बिकने के कारण शराब महंगी बिक रही है। जिससे पहले से भी ज्यादा रुपए घर वाले उड़ा रहे हैं।
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मेरी सहेलियां नहीं कर सकेंगी ग्रेजुएशन
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गांव से इंटर कर रही छात्रा अमीषा कुमारी ने कहा कि पापा आगे पढ़ने के लिए बाहर भेज रहे हैं। गांव में स्कूल होने से आने-जाने में कोई भय नहीं। सुरक्षित महसूस करती हूं। आगे बाहर जाने पर कुछ नहीं कह सकती। अस्थावां प्रखंड में एक भी महिला कॉलेज नहीं है। बिहारशरीफ में पढ़ाई स्तरीय नहीं है। इस कारण आगे की पढ़ाई के लिए बाहर जाना विवशता है। मेरे पिता की तरह अन्य गांव वाले नहीं, वे बेटियों को बाहर पढ़ने नहीं भेजते। इस कारण वे अधिकतम इंटर तक पढ़ाई कर पाती हैं। मेरी अधिकांश सहेलियां पढ़ाई छोड़ देंगी। वे ग्रेजुएशन नहीं कर सकेंगी।
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नहर का हो गया अतिक्रमण, सिचाई पंपसेट पर निर्भर
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बुजुर्ग शिवनंदन सिंह कहते हैं कि बड़े इलाके में सिचाई के लिए पहले नहर थी। उसका अतिक्रमण कर लिया गया है। 15 साल पहले तक यहां तीन तरफ से पानी आता था। आज सिचाई के लिए निजी पंपसेट पर लोग आश्रित हैं। उन्होंने कहा कि लोग सिर्फ सरकार से अपेक्षा करते हैं, अपने में सुधार नहीं लाते। खुद का आचरण सुधार लें तो कई कठिनाइयां दूर हो जाएंगी। नहर का अतिक्रमण सरकार ने नहीं, कुछ नासमझ लोगों ने कर रखा है। उन्हें व्यापक जनहित में सोचना चाहिए।
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स्वास्थ्य सेवा उन्नत करने की दरकार, बाकी सब ठीक
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सारे के मुखिया पति जितेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार ने हर क्षेत्र में काम किया है। जो दिख भी रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत करने की दरकार है। अस्थावां में रेफरल अस्पताल है, वहीं की व्यवस्था में सुधार लाया जाना चाहिए। अभी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए 100 किलोमीटर दूर पटना जाना पड़ता है।
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प्लस टू स्कूल की बाउंड्री नहीं, कॉमन रूम व प्रयोगशाला नहीं
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ग्रामीण रौशन कुमार ने कहा कि गांव में +2 स्कूल की हालत दयनीय है। विद्यालय की बाउंड्री टूटी है। मेन गेट नहीं है। लड़कियों के लिए कॉमन रूम की व्यवस्था थी, वह अब नहीं रही। स्कूल में प्रयोगशाला नहीं हैं। पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है। गणित के शिक्षक इतिहास व भूगोल पढ़ा रहे हैं। ऐसी स्थिति तब है, जबकि स्कूल के पदेन अध्यक्ष विधायक हैं।
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