अंक गणित के फॉर्मूले में उलझी ब्रह्मापुर की लड़ाई

बक्सर : अंक गणित के प्रश्न को हल करने में फॉर्मूला का बड़ा रोल होता है। फॉर्मूला सटीक बैठा तो प्रश्न हल भी जल्दी होते हैं और जवाब भी सटीक आता है। ब्रह्मापुर की लड़ाई गणित के ऐसे ही एक सवाल की तरह उलझी हुई है, जिसमें सियासत का हर खिलाड़ी सही फॉर्मूले की खोज में जी-जान एक किए हुए हैं।

दरअसल, यहां नामांकन की अवधि बीतने से एक दिन पहले भाजपा ने जो दांव खेला और सीट अति पिछड़ा की नुमाइंदगी का दावा कर रही विकासशील इंसान पार्टी के हवाले कर दी, उससे यहां पहले से चल रही सभी सियासी तैयारी धरी की धरी रह गई। महासमर के हर योद्धा को अब नई परिस्सि्थतियों के अनुरूप अपनी गोटी सेट करनी पड़ रही है। लोजपा से हुलास पांडेय ने इंट्री मारकर खेल को और रोचक बना दिया। पिछले कई चुनावों में रनर औऱ वीनर की भूमिका निभाने वाली भाजपा ने अपने फैसले से गोलबंदी की नई ब्यूह रचना कर दी। हालांकि, इस रणनीति के कारण यहां राजनीतिक और जातीय गोलबंदी के समीकरण बदल गए। स्वर्ण बहुल इस क्षेत्र में भाजपा को नए प्रयोग तथा स्थानीय और बाहरी के मुद्दे का खामियाजा कई बार भुगतना पड़ा है।
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अपनों के बेगाने होने से राजद में बढ़ी मुश्किलें
2015 के चुनाव में भाजपा के विवेक ठाकुर को शिकस्त देकर राजद के शंभू नाथ यादव ने कब्जा जमाया। इस बार उनके आधार मतों पर पिछले बार चुनाव में उनके सहयोगी रहे परमानंद यादव सेंध लगा रहे हैं। वे जाप प्रत्याशी हैं। दोनों प्रत्याशी उसी चक्की गांव के निवासी हैं, जो राजद का मजबूत गढ़ माना जाता है। इस बार के चुनाव में ददन पहलवान के मैदान में नहीं होने के कारण उनके समर्थकों के पास जाप प्रत्याशी का मजबूत विकल्प भी है। डुमरांव में अल्पसंख्यक वर्ग से अंजुम आरा और ब्रह्मापुर में अति पिछड़े वर्ग के जयराज चौधरी को प्रत्याशी बनाकर एनडीए ने राजद के माय समीकरण में भी सेंध लगाने की कोशिश की है। ऐसे में राजद के समक्ष बड़ी चुनौती है।
जातीय समीकरण और असंतोष के सहारे लोजपा

ब्रह्मापुर से 2005 का चुनाव भाजपा आधार मतों में बिखराव के कारण हार गई थी। राजद प्रत्याशी को 33623 वोट और भाजपा प्रत्याशी को 29455 मत मिले थे। तब भाजपा प्रत्याशी के सजातीय ने बसपा के टिकट 14856 मत प्राप्त कर पार्टी के आधार मतों में सेंधमारी कर दी थी। इस बार भाजपा के पाले से सीट निकलने के बाद कार्यकर्ताओं का असंतोष स्पष्ट दिख रहा है। लोजपा के प्रत्याशी हुलास पांडेय सवर्ण मतदाताओं के साथ भाजपा कार्यकर्तओं के इसी असंतोष को साधने की कोशिश में हैं।
एनडीए के लिए आधार मतों को समेटने की चुनौती
एनडीए प्रत्याशी की सबसे बड़ी चुनौती आधार मतों को समेटना है। गणित के सरल फॉर्मूला को लागू किया जाए तो भाजपा के आधार मतों के साथ अति पिछड़ा उम्मीदवार और नीतीश कुमार के झोली वाले मतों को मिला एनडीए यहां जीत की उम्मीद कर सकती है। हालांकि, यहां गणित इतना सरल नहीं है, अपने वोट को समेटकर अपने पक्ष में करना फिलहाल बहुत कठिन दिख रहा है। हालांकि, एनडीए के नेता अपनी ताकत झोंके हुए हैं।
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