लखीसराय व सूर्यगढ़ा में गठबंधन दलों के दिल में दरार

लखीसराय । बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान का प्रचार अभियान अब समापन की ओर है। मतदान की तिथि में भी चार दिन शेष है। प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित कराने के लिए अंतिम ताकत झोंक रखे हैं। लखीसराय जिले के दोनों विधानसभा क्षेत्र में इस बार दिलचस्प मुकाबला है। राजनीतिक चौसर पर गठबंधन तो बनकर तैयार है और उसी बैनर के तले प्रत्याशी चुनावी मैदान में भी हैं। लेकिन, राजग के घटक दलों की राह अब तक एक नहीं हो पाई है। लखीसराय में भाजपा से जदयू दूर-दूर नजर आ रहा है वहीं सूर्यगढ़ा में जदयू से भाजपा दूर-दूर नजर आ रही है। हालांकि वीआइपी नेताओं के कार्यक्रम में सभा मंच साझा किया जा रहा है लेकिन स्थानीय स्तर पर कॉमन प्रचार एवं जनसंपर्क अभियान नहीं चलाया जा सका है। ऐसे में महागठबंधन की एका मजबूती के साथ चुनौती दे रहा है। महागठबंधन के घटक दल लखीसराय में राजद एवं सीपीआइ के कार्यकर्ता कांग्रेस प्रत्याशी अमरेश कुमार अनीश के पक्ष में गांव-गांव जनसंपर्क कर रहे हैं। जबकि भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार सिन्हा गठबंधन दल के समर्थन का अब भी इंतजार कर रहे हैं। लखीसराय क्षेत्र में जदयू के किसी भी स्टार प्रचारक की चुनावी सभा नहीं हुई। मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह कई दिनों के प्रवास में अपना अभियान सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में ही रखा। उधर सूर्यगढ़ा में राजद प्रत्याशी प्रहलाद यादव अपने सहयोगी दलों कांग्रेस एवं वाम दल का समर्थन प्राप्त कर रहे हैं। वहीं जदयू प्रत्याशी घटक दल में शामिल वीआइपी के सहारे वैतरणी पार करने की जुगत में हैं। यहां भाजपा के अधिकांश कार्यकर्ता चुनावी कार्यक्रम से खुद को अलग रखे हुए हैं। चर्चा है कि भाजपा कार्यकर्ता यहां जदयू से बागी हुए लोजपा प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद सिंह उर्फ अशोक सिंह का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि पार्टी गाइडलाइन के अनुसार वे खुलकर तो सामने नहीं आ रहे लेकिन जदयू प्रत्याशी से किनारा किया जाना इसी का संकेत दे रहा है। ऐसी स्थिति में जदयू प्रत्याशी रेस में आने की दौड़ लगा रहे हैं। लखीसराय जिले की दोनों विधानसभा क्षेत्र में राजग की फूट का लाभ महागठबंधन प्रत्याशी लेने की फिराक में लगे हुए हैं। हालांकि लखीसराय से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक फुलेना सिंह के समर्थन में खुटहा पूर्वी एवं खुटहा पश्चिमी पंचायत की हुई बैठक के बाद से राजनीतिक गणित कुछ और बनने लगा है। अब सभी प्रत्याशियों की नजर मतदाताओं के मूड पर है। 28 अक्टूबर को मतदाता किसे अपनी सहमति देते हैं इसका इंतजार सबको है।


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