विजयादशमी के दिन नीलकंठ का दर्शन शुभता का प्रतीक

खगड़िया । विजयादशमी के दिन नीलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता है। इस दिन लोग नीलकंठ के दर्शन को सुबह से टकटकी लगाए रहते हैं। लोककंठ में इसको लेकर कई-कई गीत बसते हैं। एक गीत का बोल है 'नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध भात का भोजन करियो, हमारी बात राम को कहियो।' इस लोकगीत के अनुसार नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना जाता है।

नीलकंठ के दर्शन से शुभ कार्य का सिलसिला चलते रहता है
श्री शिव शक्ति योग पीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज कहते हैं कि विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना शुभ का प्रतीक हैं। शारदीय नवरात्र में आदिशक्ति की उपासना के बाद इस पक्षी का दर्शन करने से भगवान शिव के रूप का प्रतीकात्मक दर्शन होता है। भगवान शंकर को नीलकंठ भी कहा जाता है। इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव के प्रतिनिधि के रूप में जाना जाता है। विजयादशमी के दिन इस पक्षी के दर्शन को शुभ के साथ भाग्य को जगाने वाला माना जाता है। विजयादशमी के दिन सुबह से लोग आसपास खेतों व घने पेड़ों पर नीलकंठ को तलाश करते हैं। इस दिन नीलकंठ के दर्शन से साल भर घर में शुभ कार्य का सिलसिला चलते रहता है। धन धान्य में वृद्धि होती है।

क्या है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीराम ने नीलकंठ का दर्शन करके ही रावण का वध किया। लंका जीत के बाद जब भगवान राम को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था तो भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की और शिव पूजा कर ब्राह्मण हत्या के पाप से खुद को मुक्त कराया। तब भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रूप में धरती पर आए। नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का एक रूप है। भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विचरण करते हैं।
किसानों का भाग्य विधाता
नीलकंठ पक्षी आमलोगों के साथ- साथ किसानों का भाग्य विधाता भी है। नीलकंठ पक्षी खेतों के कीड़े को खाकर किसानों की फसल की रखवाली करते हैं। विजयादशमी के दिन बहुत कम नीलकंठ पक्षी देखने को मिलता है। भाग्यशाली लोग ही नीलकंठ पक्षी को देख पाते हैं। लेकिन सभी लोग प्रयास जरूर करते है।
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