बाजार समिति में बसा अस्थायी शहर, मेले सा बना माहौल

बक्सर : ऐ जरा दाल लाओ जी। बिना चीनी वाला चाय देना जरा। मंगलवार को इस तरह की आवाज बाजार समिति में हर तरफ सुनाई दे रही थी। मौका था वहां से पीसीसीपी, मजिस्ट्रेट एवं पुलिस बल को मतदान केन्द्रों के लिए रवाना करने का। ऐसे में लोकतंत्र के महापर्व में अन्य दिनों में सुनसान रहने वाला बाजार समिति प्रांगण का माहौल आज ऐसा लग रहा था जैसे वहां एक छोटा शहर बस गया हो। वहां थोड़ी-थोड़ी दूरी पर चाय-पान और खाने की दुकानें चल रही थीं और लोग उसका आनंद ले रहे थे।

भीड़ ऐसी कि दुकानदार को सांस लेने की फुर्सत नहीं। जिले और जिले के बाहर से आए कर्मचारी, अधिकारी और पुलिस कर्मी इन अस्थायी दुकानों पर मानों टूट पड़े थे। पहले जहां बाजार समिति के प्रांगण में एक-दो दुकानें लगती थी। इस दौरान जो कर्मचारी या पुलिस कर्मी अपने घर से खाना लाए थे, वो तो कहीं छुप के खा ले रहे थे। लेकिन अधिक संख्या में कर्मचारी, पुलिस कर्मी इन दुकानों पर ही अपनी भूख मिटा रहे थे। हजारों की तादाद में जुटे सरकारी कर्मी और ऊपर से जगह-जगह खाने-पीने की दुकानें बाजार समिति में छोटे शहर बसने जैसा या मेला का एहसास करा रही थी।
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बाजार समिति के प्रांगण में ऐसे ही दुकान चलाने वाले मुन्ना की दुकान पर कोई सब्जी के लिए चिल्ला रहा था तो कोई चावल के लिए। उसी पर कोई चाय का भी आर्डर देता था। कर्मचारी, पुलिस भी जल्दी-जल्दी खाना खा रहे थे। कहीं उनकी गाड़ी न निकल जाए या उनका नाम ना पुकार लिया जाए इसकी चिता उन्हें सता रही थी।
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