फ़रीदाबाद के बल्लभगढ़ में छात्रा की सरेआम हत्या का अभियुक्त विधायक का रिश्तेदार: प्रेस रिव्यू

हरियाणा के फ़रीदाबाद में सोमवार को बी. कॉम अंतिम वर्ष की छात्रा की उसके कॉलेज के बाहर सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया अख़बार के मुताबिक़, गोली मारने वाला युवक नूंह के कांग्रेस पार्टी के विधायक आफ़ताब अहमद का चचेरा भाई बताया जा रहा है. इस घटना के बाद मंगलवार को राजनीतिक बयानबाज़ियों के साथ-साथ विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए.
मुख्य अभियुक्त की पहचान तौसीफ़ के रूप में हुई है जो विधायक का चचेरा भाई बताया जा रहा है जबकि रेहान नामक युवक को भी गिरफ़्तार किया गया है.
अख़बार के मुताबिक़, 20 वर्षीय मृत युवती निकिता तोमर और तौसीफ़ बचपन से एक-दूसरे को जानते थे और एक ही स्कूल में पढ़ते थे. सितंबर में निकिता ने तौसीफ़ के ख़िलाफ़ उत्पीड़न की शिकायत भी दर्ज की थी.
सोमवार को दोपहर 1 बजे निकिता बल्लभगढ़ इलाक़े में मौजूद अग्रवाल कॉलेज में परीक्षा देने के लिए गई थीं. इस घटना का 23 सेकंड का एक वीडियो वायरल हो रहा है जो शाम 4 बजे के आसपास का बताया जा रहा है. वीडियो में कॉलेज के बाहर निकिता को सफ़ेद कार में जबरन खींचे जाते हुए देखा जा सकता है जिसके बाद युवक छात्रा के सिर में गोली मारते दिख रहा है.
निकिता के साथ तब मौजूद रहीं उनकी दोस्त अख़बार को बताती हैं कि वे दोनों ऑटो का इंतज़ार कर रहे थे जब एक कार उनके पास आई और यह सब चंद सेकंडों में हो गया.
युवती के परिजनों ने मंगलवार को फ़रीदाबाद-मथुरा रोड को जाम किया. इसके बाद हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने एक एसआईटी के गठन की घोषणा की जो 'जल्दी जांच और तय समय में ट्रायल' पूरा करेगी.
निकिता के पिता मूलचंद तोमर का आरोप है कि तौसीफ़ कई महीनों से उनकी बेटी को परेशान कर रहा था जिसके बाद उसके ख़िलाफ़ शिकायत भी दर्ज की थी.
पुलिस के अनुसार, युवक के ख़िलाफ़ 2018 में कथित तौर पर अपहरण की भी शिकायत दर्ज की गई थी लेकिन निकिता के परिवार ने पंचायत की बैठक के बाद शिकायत को वापस ले लिया था. निकिता के परिवार का आरोप है कि तौसीफ़ के रिश्तेदारों ने उन पर दबाव बनाया जिनका नूंह में राजनीतिक दबदबा है और उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि तौसीफ़ फिर ऐसा नहीं करेगा.
फ़रीदाबाद के पुलिस आयुक्त ओपी सिंह ने कहा है कि वो परिवार के आरोपों की भी जाँच कर रहे हैं.
'सीएए विरोधी उपद्रव भारत में असंतोष बढ़ाने के लिए थे'
दिल्ली दंगे मामलों में मंगलवार को दिल्ली की एक कोर्ट ने 27 वर्षीय छात्र को ज़मानत देने से इनकार करते हुए कहा कि 'नागरिकता संशोधन बिल के नाम पर हिंसा के साथ हुए मुखर आंदोलन दिखाते हैं कि इनका उद्देश्य भारत के ख़िलाफ़ असंतोष को पैदा करना था.'
द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के अनुसार, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र आसिफ़ इक़बाल तन्हा को कोर्ट ने दूसरी बार ज़मानत देने से इनकार कर दिया है. उन पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे मामलों में यूएपीए के तहत केस दर्ज है.
दिल्ली पुलिस का आरोप है कि तन्हा ने जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर ख़ालिद और शरजील इमाम के साथ मिलकर मुस्लिम बहुल इलाक़ों में चक्का जाम की साज़िश की ताकि 'सरकार को उखाड़ फेंका' जाए.
तन्हा के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल का तर्क था कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों का समन्वय करने वाले जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी या स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइज़ेशन जैसे संगठन यूएपीए के तहत आतंकी संगठन नहीं हैं.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत का कहना था, "ऐसे कृत्य जो भारत की एकता और अखंडता के लिए ख़तरा हों, ...सामाजिक असामंजस्य की वजह बनना और एक वर्ग के लोगों में आतंक पैदा करना, उन्हें हिंसा में घिरे होने का एहसास कराना भी एक आतंकी हरकत है."
कम साफ़-सफ़ाई वाले देशों में कोरोना से कम मौतें: शोध
एक नए शोध से पता चला है कि जिन देशों में ख़राब साफ़-सफ़ाई के साथ कम गुणवत्ता वाले पानी का इस्तेमाल होता है वहां पर कोविड-19 से मरने वालों का आंकड़ा उन अमीर देशों से कम है जहां पर स्वच्छता के उच्च मापदंड हैं.
हिंदू बिज़नेस लाइन अख़बार का कहना है कि इस शोध से पता चलता है कि जिन देशों में पानी की स्वच्छता ख़राब है वहां पर प्रति 10 लाख लोगों पर कोविड-19 की मौतों का आंकड़ा कम है.
काउंसिल ऑफ़ साइंटिफ़िक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के महानिदेशक डॉक्टर शेखर मांडे कहते हैं कि जनसांख्यिकी, स्वच्छता में सुधार और ऑटो-इम्यून बीमारियां सकारात्मक रूप से कोविड-19 से होने वाली मौतों से जुड़े हुए हैं.
उन्होंने बताया कि पुणे के नेशनल सेंटर फ़ॉर सेल साइंस और चेन्नई के मैथमेटिकल इंस्टीच्यूट ने 25 से 30 पैमानों पर 106 देशों में प्रति 10 लाख लोगों पर हुई मौतों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया है. इन पैमानों में पानी और साफ़-सफ़ाई जैसे पैमाने शामिल हैं.
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source: bbc.com/hindi

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