धान की सीधी बुआई से कम खर्च में हुआ बंपर पैदावार

भागलपुर। जल जीवन हरियाली कार्यक्रम में मौसम अनुकूल खेती तकनीक के तहत धान की सीधी बुआई से कम खर्च में बंपर पैदावार हो रहा है। इसी कड़ी में गोराडीह प्रखंड के लौगाईं गाव के किसानों के खेतों में प्रयोग के तौर पर लगाया गया है। उसमें एक एकड़ में लगी धान की किस्म राजेंद्र श्वेता की फसल तैयार किया गया। फसल की तैयारी कृषि विज्ञान केंद्र सबौर के विज्ञानियों की टीम और स्थानीय किसानों के समक्ष किया गया। एकड़ में 20.67 किलोग्राम धान हुआ। बंपर पैदावार देख कृषि विज्ञानी और वहा के किसान काफी उत्साहित हैं। क्यों है मौसम अनुकूल खेती की जरूरत

बदलते जलवायु परिवेश एवं मृदा के टिकाऊ के लिए मौसम अनुकूल खेती के तहत धान की सीधी बुआई बेहतर विकल्प है। दिनोदिन वर्षा एवं सिंचाई जल की कमी हो रही है । वर्षा होती भी है तो असामान्य रूप से होती है। भूमिगत जल में निरंतर गिरावट हो रहा है। मिट्टी गुणवत्ता विहीन और बंजर होती जा रही है ।खेत में दरार होकर फट रहा है। नमी कम होती जा रही है। क्या हो रहा है फायदा
परियोजना के नोडल अधिकारी इं . पंकज ने बताया कि धान की सीधी बुआई करने से सिंचाई के लिए कम जल की आवश्यकता होती है। कम श्रम और उर्जा , इंधन की बचत होती है। किसान के कुल खर्च में कमी, सुद्ध आय में वृद्धि होती है। मिट्टी के गुणवत्ता में सुधार होता है। फसल की परिपक्वता अवधि कम होती है और अगले फसल का पैदावार ज्यादा होता है। मिथेन गैस का उत्सर्जन कम होता है। गोराडीह में 350 एकड़ में लगी है धान की फसल
कृषि विज्ञान केंद्र सबौर के इनचार्ज डॉ विनोद कुमार कहते हैं कि मौसम अनुकूल खेती के तहत विभिन्न किस्म के गोराडीह प्रखंड के पाच गावों में 350 एकड़ में धान की फसल लगी है । परंपरागत तरीके से धान की खेती करने से उत्पादन50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। जबकि अभी तैयार किया गया फसल में 51.67 क्विंटल हुआ। पुराने विधि से खर्च 16-18 हजार रुपया प्रति हेक्टेयर होता है । जबकि सीधी बुआई से12-14 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर हुआ।फसल की तैयारी देख किसान काफी उत्साहित हैं।

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