जागरुकता से ही शिशु मृत्यु दर में कमी संभव

जागरण संवाददाता,पूर्णिया: सात नवंबर को शिशु सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। शिशुओं की सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक करना इसका उद्देश्य है. शिशुओं की सही देखभाल से शिशु मृत्यु दर कमी आ सकती है। समेकित बाल विकास परियोजना की डीपीओ शोभा सिन्हा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के देखभाल के लिए कई योजनाएं संचालन की जा रही हैं। जिले में शिशु मृत्यु दर प्रत्येक हजार बच्चों में 53 है। नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य माता के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है इसलिए माँ को गर्भावस्था पूर्व से अपने स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखना चाहिए। महिलाओं के शरीर में में खून की होती है, जिसके लिए गर्भावस्था पूर्व से ही उन्हें आयरन फॉलिक एसिड की गोली का सेवन करना चाहिए.। इसके साथ ही इस दौरान उन्हें आयरन युक्त आहार के सेवन को प्राथमिकता देनी चाहिए।. गर्भावस्था के बाद प्रसव पूर्व जांच, टेटनस टीका भी गर्भवती महिला को लेना जरूरी होता है। प्रसव के बाद नवजात शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान, 6 माह तक केवल स्तनपान, कंगारू मदर केयर, शिशुओं के निमोनिया जांच एवं टीका उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।

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सही पोषण शिशुओं के लिए जरूरी :
डीपीओ शोभा सिन्हा ने बताया कि शिशुओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए उनको बेहतर पोषण का मिलना बहुत जरुरी है। 6 माह बाद स्तनपान के साथ बाहरी आहार भी देना चाहिए।
इसके साथ ही केंद्रों में सेविका एवं एएनएम के द्वारा अपने-अपने पोषक क्षेत्रों के नवजात शिशुओं का नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण आदि करवाया जाता है. सेविकाओं द्वारा नवजात शिशुओं को उम्र के साथ वजन और लंबाई ली जाती है।
शिशुओं के इन लक्षणों को लेकर रहें सतर्क :-
- यदि शिशु के साँस लेने में समस्या हो - शिशु स्तनपान नहीं कर पा रहा हो - शिशु शारीरिक तापमान बनाए रखने में असमर्थ हो (हाइपोथर्मिया) - शिशु सुस्त हो गया हो एवं शारीरिक गतिविधि में कमी हो
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