डुमरी गांव के बुजुर्गों से अधिक है चचरी पुल की उम्र

कटरा प्रखंड के डुमरी गांव में आने के बाद ऐसा लगता ही नहीं है कि यहां कोई योजना पहुंचती होगी। गांव पहुंचने के लिए नदी पार करना पड़ता है। इस गांव तक पहुंचने का एकमात्र सहारा है 200 मीटर में बना चचरी पुल। हर बरसात में लोग इस चचरी की मरम्मत कर इसे मजबूत करते हैं ताकि कभी कोई अप्रिय घटना न हो जाएं। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि उनकी उम्र से अधिक है डुमरी के चचरी पुल की आयु।

उन्होंने बताया कि इस गांव के लिए 75 वर्षों से एकमात्र सहारा है चचरी पुल। इससे लोग आना-जाना करते हैं। बताया कि चचरी पुल की जगह स्थायी पुल निर्माण के लिए ग्रामीणों ने मुजफ्फरपुर के कटरा से पटना तक धरना दिया है। अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर काट-काट कर थक चुके हैं। बावजूद नदी पर स्थायी पुल नहीं बनाया जा सका है। यह चचरी पुल डुमरी के अलावा बसुआ, जोगी, रतनपुर, जगतपुर, महनपुर,पीटबसुआ समेत दर्जनों गांवों को जोड़ता है।
रास्ता नहीं होने के कारण ग्रामीण गाड़ी रखते दूसरे गांव में
स्थानीय लोगों ने मिलकर गांव में आने-जाने के लिए चचरी पुल बनाया है, लेकिन गांव में चरपहिया और बाइक नहीं आ सकती है। गांव के लोग संपन्न होने के बाद भी चचरी पुल होने के कारण अपनी गाड़ी गांव तक नहीं ला पाते हैं। मजबूरन गाड़ी को दूसरे गांव में धूप व बरसात में रखना पड़ता है।
तीन पीढ़ी बीत चुकी, लेकिन नहीं खत्म हुई बदहाली
डुमरी के साठ वर्षीय मो. मोकिम बताते हैं कि उनकी तीन पीढ़ी बीतने को है। सबने नदी पर स्थायी पुल निर्माण को लेकर लड़ाई लड़ी। वर्ष 2020 में भी लोगों का गांव तक आने का एकमात्र सहारा चचरी पुल है। जिस पर वाहन आने पर पांच सौ रुपये जुर्माना का प्रावधान है। ऐसे में गांव की कोई भी बहू-बेटी शादी के बाद इस गांव में अपने घर तक गाड़ी से नहीं आ पाती है। बहुओं को चचरी पुल के कारण गांव के पहले ही गाड़ी से उतरकर पैदल घर तक आना पड़ता है।

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