नवजात शिशु सुरक्षा दिवस : अब भी प्रति हजार में 28 नवजात की जन्म के पहले माह में हो रही मौत

पटना, जेएनएन। चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार के बावजूद प्रदेश में जन्म के एक माह के अंदर शिशुओं की मृत्यु का आंकड़ा भयावह बना हुआ है। प्रदेश में प्रति हजार जन्म में से 28 शिशुओं की एक माह के अंदर मौत हो जाती है। मौतों के तीन अहम कारण जन्म के बाद बच्चे का देर से रोना, समय से पूर्व जन्म होने के कारण कम वजन और विभिन्न प्रकार के संक्रमण हैं। डॉक्टरों के अनुसार यदि माता-पिता प्रसव के पूर्व थोड़ी जागरुकता दिखाएं तो नवजात शिशु मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। केरल के लोगों की समझदारी से वहां नवजात शिशु मृत्यु दर 12 प्रति हजार तक आ गई है।

सांस लेने में दिक्‍कत के चलते देर से रोते हैं बच्‍चे
इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के उप निदेशक सह शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बिरेंद्र कुमार सिंह ने ये बातें नवजात शिशु सुरक्षा दिवस पर शनिवार को कहीं। डॉ. बिरेंद्र ने बताया, कई बच्चे जन्म के बाद काफी देर तक नहीं रोते हैं। इसका कारण सांस लेने में परेशानी होती है। घरों में प्रसव होने पर ऐसे बच्चों को अंबू बैग से तुरंत ऑक्सीजन या श्वांस नली साफ करने के लिए सक्शन नहीं हो पाता है। 14 फीसद बच्चों की मौत इसी कारण होती है। इसके अलावा 10 फीसद की मौत समय से पूर्व जन्म व कम वजन और छह फीसद की विभिन्न प्रकार के संक्रमण के कारण होती है। इसके अलावा निमोनिया, डायरिया, जन्मजात विसंगतियां, असंक्रामक रोग भी नवजात की मौत के कारण बनते हैं।
आसान उपायों से स्वस्थ रहेंगे नौनिहाल
- गांव हो या शहर संस्थागत या प्रशिक्षित नर्स से ही कराएं प्रसव
- जन्म के तुरंत बाद बच्चा नहीं रोए तो उसका प्रयास करें। अंबू बैग से ऑक्सीजन दें, अच्छे से सक्शन कराएं।
- प्रसव के पहले ही स्त्री रोग विशेषज्ञ से स्तनपान आदि की सावधानियां जान तैयारी कर लें।
- प्रसव के पहले गर्भवती अपना टीकाकरण कराती रहें।
- जन्म के आधे घंटे के अंदर बच्चे को स्तनपान जरूर कराएं।
- बाहर का दूध या शहद नहीं दें, संक्रमण का सबसे बड़ा कारण यही है।
- जन्म के तुरंत बाद बच्चे ठीक से ढंककर रखें, निमोनिया हो सकता है।

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