किडनी, लिवर सहित 7 बीमारियों का काल है ये मामूली बरसाती पौधा, तुरन्त जान ले!

गुर्दे का जोड़ा एक मानव अंग हैं, जिनका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है। गुर्दे बहुत से वर्टिब्रेट पशुओं में मिलते हैं। ये मूत्र-प्रणाली के अंग हैं। इनके द्वारा इलेक्त्रोलाइट, क्षार-अम्ल संतुलन और रक्तचाप का नियामन होता है। इनका मल स्वरुप मूत्र कहलाता है। इसमें मुख्यतः यूरिया और अमोनिया होते हैं। गुर्दे युग्मित अंग होते हैं, जो कई कार्य करते हैं। ये अनेक प्रकार के पशुओं में पाये जाते हैं, जिनमें कशेरुकी व कुछ अकशेरुकी जीव शामिल हैं। ये हमारी मूत्र-प्रणाली का एक आवश्यक भाग हैं और ये इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण, अम्ल-क्षार संतुलन, व रक्तचाप नियंत्रण आदि जैसे समस्थिति (homeostatic) कार्य भी करते है। ये शरीर में रक्त के प्राकृतिक शोधक के रूप में कार्य करते हैं और अपशिष्ट को हटाते हैं, जिसे मूत्राशय की ओर भेज दिया जाता है। मूत्र का उत्पादन करते समय, गुर्दे यूरिया और अमोनियम जैसे अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित करते हैं; गुर्दे जल, ग्लूकोज़ और अमिनो अम्लों के पुनरवशोषण के लिये भी ज़िम्मेदार होते हैं। गुर्दे हार्मोन भी उत्पन्न करते हैं, जिनमें कैल्सिट्रिओल (calcitriol), रेनिन (renin) और एरिथ्रोपिटिन (erythropoietin) शामिल हैं। किडनी, लिवर सहित 7 बीमारियों का काल है ये मामूली बरसाती पौधा- 1. लीवर बढ़ गया है और उसमे सूजन आ रही है तो यह उसके लिए बहुत असरदार आर्युवेदिक औषधी का काम कर सकता है। 2. पीलिया रोग में इसकी पत्तियों के पेस्ट को छाछ के साथ मिलाकर प्रयोग किया जाता है, जिससे पीलिया जल्द दूर होता है। 3. किडनी के संक्रमण में यह बहुत फायदेमंद है। यह गुर्दो को स्वस्थ करता है। यह डाइयूरेटिक का काम करता है। जिससे यूरिन ज्यादा बनने लगता है। और शरीर की सफाई होती है। 4. एन्टीवायरल गुण होने की वजह से भुई आँवला हेपेटाइटिस बी और सी के लिए रामबाण दवाई के रूप में माना गया है। 5 मुंह में छाले होने पर इसके पत्तों को चबाकर थूक दे, ऐसा करने से मुंह के छाले दूर हो जाएंगे। 6. शरीर के किसी भाग में फोड़ा या फुंसी हो, तो इसके पत्तों का पेस्ट लगाने से काफी फायदा मिलता है 7. सर्दी-जुकाम में भुई आँवले के साथ तुलसी के पत्ते को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से जल्द राहत मिलती है। भुई आंवला का इस तरह कर सकते है सेवन- भुई आंवला के पाउडर को 1/2 चम्मच पानी के साथ दिन में 2-3 बार लेने या पौधे का ताजा रस 10 से 20 मिलीलीटर का 3 बार सेवन करें या ताजा पौधे को साफ धोकर चबाकर भी खा सकते है।

अन्य समाचार