चीन और भारत सरहद पर लंबे गतिरोध की कर रहे जमकर तैयारी

चीन के साथ लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के चलते भारत पिछले पाँच महीनों में सैन्य ताक़त बढ़ाने के लिए कई क़दम उठा चुका है.

जैसे कई मिसाइल परीक्षण, वैश्विक स्तर पर खुफ़िया गठबंधन बनाना और क्वाड में सक्रियता बढ़ाना. अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत का ये समूह चीन विरोधी मंच माना जाता है.
भारत वार्षिक मालाबार नौसेना अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करके भी चीन को संदेश देना चाहता है. इससे पहले इस नौसेना अभ्यास में भारत, अमेरिका और जापान हिस्सा लिया करते थे.
तब भारत चीन की आपत्तियों को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया को इस अभ्यास में शामिल करने से बचता था.
इसके अलावा भारत ने लद्दाख में सर्दियों की तैयारी भी शुरू कर दी हैं. भारत सैनिकों के लिए सर्दियों के कपड़े, राइफल्स, गोला-बारूद और हथियार ख़रीदने में भी तेज़ी ला रहा है.
लेकिन, तैयारियों के मामले में चीन भी पीछे नहीं है. चीनी मीडिया में आईं ख़बरों के मुताबिक़ चीन भी सीमा पर अपनी स्थिति मज़बूत कर रहा है. हिमालय की सर्दियों से निपटने के लिए गर्म आवास और गर्म खाने का इंतज़ाम किया जा रहा है.
हालांकि, दोनों देशों के इंतज़ामों से तुरंत किसी टकराव के संकेत नहीं मिल रहे हैं. लेकिन, इनसे ये ज़रूर पता चलता है कि दोनों एक लंबे गतिरोध को देखते हुए तैयारियां कर रहे हैं.
भारत का मिसाइल परीक्षण तेज़
मिसाइलों का विकास, ट्रायल और परीक्षण भारत में नियमित तौर पर चलता रहता है लेकिन इस बार परीक्षणों के समय में असमान्यता देखी गई है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत ने सितंबर और अक्टूबर में 13 मिसाइल परीक्षण किए हैं.
अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स की 29 अक्टूबर को आई एक रिपोर्ट के मुताबिक इतने कम समय में कई मिसाइल परीक्षण होना सिर्फ़ इत्तेफाक नहीं है.
रिपोर्ट कहती है कि 'मेड इन इंडिया' के तहत परमाणु और पारंपरिक मिसाइलों के विकास में तेज़ी लाने के प्रयास एलएसी पर चीन से गतिरोध को देखते हुए ही किए गए हैं. भारत ने एक महीने के अंदर हर चौथे दिन एक मिसाइल छोड़ी है.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत सरकार ने गोपनीय तरीक़े से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को अपना मिसाइल प्रोग्राम तेज़ करने के लिए कहा है.
डीआरडीओ को ये संदेश भारत-चीन सीमा गतिरोध की शुरुआत में ही दे दिया गया था क्योंकि भारत को सीमा पर शांति बनाए रखने के चीन के इरादों पर संदेह था.
अंग्रेज़ी न्यूज़ चैनल टाइम्स नाऊ की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ प्रमुख मिसाइल सिस्टम का हाल ही में परीक्षण किया गया है. इसमें हाइपरसॉनिक टेक्नोलॉजी डेमोन्सट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी), एक मानवरहित स्क्रैमजेट डेमो एयरक्राफ्ट; अभ्यास, एक हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टार्गेट (एचईएटी); लेज़र निर्देशित एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल; परमाणु क्षमता वाली पृथ्वी-II बैलेस्टिक मिसाइल; ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल; परमाणु क्षमता वाली हाइपरसॉनिक शौर्य मिसाइल; सुपरसॉनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज ऑफ़ टॉरपेडो (एसएमएआरटी) सिस्टम, भारत की पहली स्वदेशी एंटी-रेडियेशन मिसाइल, रुद्रम और स्टैंड-ऑफ़ एंटी-टैंक मिसाइल (एसएएनटी) शामिल हैं.
भारत ने 4 नवंबर को स्वदेशी पिनाका मल्टी-बैरेल रॉकेट सिस्टम का परीक्षण किया था. ये 45 से 60 किलोमीटर दूरी पर मौजूद लक्ष्य को निशाना बना सकता है. कुछ मीडिया रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि ये सिस्टम खासतौर पर चीनी सेना के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार किया गया.
फाइव आईज़ ख़ुफ़िया गठबंधन
कुछ मीडिया संस्थानों का दावा है कि भारत फाइव आईज़ (पांच आंखें) खुफ़िया गठबंधन से जुड़ने के करीब है. इस गठबंधन में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं.
उन्होंने लिखा था कि ऑस्ट्रेलिया 13 सालों बाद इसमें हिस्सा लेने जा रहा है.
हालांकि, रणनीतिक मामलों के जानेमाने विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी भारत की इस बात के लिए आलोचना करते हैं कि वो टोक्यो में चीन के ख़िलाफ़ अमेरिका की तरह मुखर नहीं था.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि जहां अमेरिका ने चीन पर सीधा हमला बोला वहीं भारत ने अप्रत्यक्ष तौर पर भी ये नहीं कहा कि भारत चीन की आक्रामकता का शिकार रहा है.
चीन की रणनीति
चीन में बड़े स्तर पर सैन्य साजो सामान खरीदे जाने की तो रिपोर्ट नहीं हैं लेकिन, चीन की सरकार और मीडिया ने उनक रणनीतिक कदमों की जानकारी दी है जो चीन ने हाल के महीनों में भारतीय सीमा पर उठाए हैं.
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर करनल वू चिआंग ने 29 अक्टूबर को बताया था कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी ठंडे इलाक़ों में रहने और प्रशिक्षण के हालातों में सुधार के लिए नए उच्च तकनीकी तरीक़े अपना रही है. उनका इशारा लद्दाख में भारत-चीन सीमा वाले इलाक़े की तरफ़ था.
प्रवक्ता ने बताया था कि इसमें स्वत: ऊर्जा पैदा करने वाले कैबिंस, नए स्लीपिंग बैग्स और सैनिकों तक ताजा खाना पहुंचाने के लिए ड्रोन्स जैसे उपाय शामिल हैं जिससे सेना युद्ध के लिए तैयार रहे.
इससे पहले चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबर टाइम्स ने सितंबर में लिखा था कि चीन भारत के साथ लगती सीमा पर सुरक्षा बलों को इकट्ठा कर रहा है. इसमें बमवर्षक, वायु रक्षा सैनिक, गोला-बारूद, बख्तरबंद वाहन, पैराट्रूपर्स, विशेष बल और पैदल सेना की इकाइयां शामिल हैं.
अख़बार ने लिखा था कि एच-6 बमवर्षक और वाई-20 बड़े परिवहन विमान भी आगे के हवाई ठिकानों पर तैनात किए गए हैं.
भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इस साल मई से टकराव की स्थिति बनी हुई. दोनों देशों की सेना के बीच झड़पें भी चुकी हैं. फिलहाल कई दौर की बैठकों के बावजूद भी भारत-चीन में सीमा संबंधी विवाद पर पूरी तरह सहमति नहीं बन पाई है.
,
source: bbc.com/hindi

अन्य समाचार