शिशुओं को जानलेवा संक्रमण से सुरक्षित रखेगा डिप्थीरिया का टीका

बिहारशरीफ। डिप्थीरिया या आम भाषा में गलाघोंटू सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। पांच साल से कम उम्र के शिशुओं में रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होने से वह आसानी से रोग की चपेट में आ सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध बताते हैं की जिन गंभीर संक्रामक रोगों से लगभग 20 लाख से 30 लाख शिशुओं की मौत हुई है, उनमें डिप्थीरिया भी प्रमुख है। इससे बचाव के लिए जन्म के बाद शिशुओं को डीपीटी (डिप्थीरिया-परटुसिस-टिटनस) का टीका आवश्यक है।

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जानिए रोग के लक्षण और बचाव
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अरुण कुमार सिंह ने बताया गलाघोंटू 'कोरनीबैक्टीरियम डिप्थेरी' जीवाणु से फैलने वाला रोग है। इसके संक्रमण से बच्चों के गले नाक और स्वर यंत्र (सांस नाली का ऊपरी हिस्सा )में सूजन आ जाती है। इससे उन्हें सांस लेने या बात करने में दर्द और कठिनाई होती है। यहां तक की हृदय और आंख भी इससे बिना प्रभावित हुए नहीं रहते हैं। यदि शिशु को कमजोरी, गले में दर्द या खरास, भूख नहीं लगना या खाना निगलने में तकलीफ होना, गले के दोनों तरफ टॉन्सिल फूल जाना जैसे लक्षण दिखे तो बिना देर किए चिकित्सक के संपर्क करें, क्योंकि लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए प्रत्येक अभिभावक जागरूक होकर अपने शिशुओं को डेढ़, ढाई और साढ़े तीन महीने पर डीपीटी के तथा 18 महीने और 5 वर्ष की उम्र में बूस्टर की डोज जरूर दिलवाएं। संपूर्ण टीकाकरण चार्ट के अनुसार, सभी टीके दिलवाकर शिशु संबंधित रोगों को पूर्ण रूप से खत्म करने में प्रशासन की मदद करें।

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गर्भवतियों और किशोरियों को भी बचाना है जरूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डिप्थीरिया के वैक्सीन एक निश्चित समय तक ही शरीर को संक्रमण से बचा सकते हैं। वैक्सीन का प्रभाव खत्म होने पर फिर से रोग होने की संभावना लगी रहती है। इसलिए केवल शिशुओं को ही नहीं बल्कि किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को भी गलाघोंटू संक्रमण से बचाने के लिए वैक्सीन की आवश्यकता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा निर्देशित टीकाकरण सूची के अनुसार किशोरियों को भी 10 और 16 साल पर तथा गर्भवती महिलाओं के लिए पहला टीका आरंभिक गर्भावस्था में और दूसरा टीका पहले टीके से एक माह बाद दिया जाता है। बूस्टर डोज तब दिया जाएगा, यदि गर्भधारण पिछली गर्भावस्था के तीन वर्ष के भीतर हुआ हो और टीडी की दो खुराक दी जा चुकी हो।
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धूल-मिट्टी और ठंड से से बचाना है आवश्यक
कोई भी संक्रमण गंदे धूल और सीलन से भरे स्थानों पर जल्दी पनपते हैं। दिवाली की साफ-सफाई के दौरान धूल से बच्चों और गर्भवती महिलाओं में डिप्थीरिया जैस रोगों से संक्रमित होने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए उन्हें इन सबसे बचा कर रखें। अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर जाने दें, लेकिन मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग तथा शारीरिक दूरी पालन करने का ध्यान रखने को कहें, क्योंकि हवा में फैले महीन धूल के कण और प्रदूषण हानिकारक हो सकते हैं। ठंड से भी गले नाक और मुंह में सूजन या दर्द हो सकता है। इसलिए उन्हे बढ़ते ठंड से बचाएं तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले आहार और पेय पदार्थों को भोजन में शामिल कर रोग से लड़ने के लिए मजबूत बनाएं।
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